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राजस्थान में हैं 62 हजार से अधिक हैं एचआईवी पॉजीटिव

HIV Positive, राजस्थान में लगभग 62 हजार एच.आई.वी. मरीजों के साथ कार्य करते हुये संविदा कार्मिकों को हमेशा संक्रमण का खतरा बना रहता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:09 PM (IST)
राजस्थान में हैं 62 हजार से अधिक हैं एचआईवी पॉजीटिव
राजस्थान में हैं 62 हजार से अधिक हैं एचआईवी पॉजीटिव

अजमेर,(जेएनएन)। राजस्थान स्टेट एड्स कन्ट्रोल सोसायटी जयपुर के अधीनस्थ पिछले लगभग 15 वर्षों से अल्प वेतन पर कार्य कर रहे एड्स परियोजना के संविदा कार्मिकों को अपने जीवन की हाईरिस्क तो है पर उनकी नौकरी फिक्स नहीं है। कांग्रेस राज आते ही इन कार्मिकों को एक बार फिर उम्मीद बनी है कि अशोक गहलोत सरकार उनकी तरह संवेदनाभरी दृष्टि जरूर डालेगी।

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ए.आर.टी. सेन्टर अजमेर के डाटा मैनेजर यतीश अग्रवाल के अनुसार राजस्थान एड्स कन्ट्रोल सोसायटी के अधीन पूरे राज्य में लगभग 450 संविदा कार्मिक विभिन्न पदों जैसे डाटा मैनेजर, काउन्सलर, फार्मासिस्ट, लैब टैक्नीशियन, स्टाफ नर्स, सुपरवाईजर, सी.सी.सी. इत्यादि पदों पर कार्य कर रहे हैं।

अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (ग्रुप-3) के प्रमुख शासन सचिव के 11 मार्च 2013 को जारी आदेश क्रमांक 270/2013 के तहत एड्स कन्ट्रोल सोसायटी के कार्मिकों को राज्य सरकार के अधीन ही मानते हुये आवेदित पद के समान कार्य के आधार पर अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दे दिये गये थे। राजस्थान के सभी संविदा कर्मचारियों ने आवेदन शुल्क जमा करवा दिया था परन्तु वर्ष 2014 में सरकार बदलते ही भर्ती को रद्द कर दिया गया था।

कार्मिकों के अनुसार कांग्रेस सरकार ने संविदाकर्मियों के स्थायीकरण को लेकर घोषणा पत्र के श्रम एवं रोजगार के बिन्दु संख्या 3 में संविदा कर्मियों को बोनस अंक के आधार पर घोषणा की थी ऐसे में समस्त कार्मिकों ने सम्पूर्ण राजस्थान में वर्तमान सरकार के पक्ष में मतपूर्वक समर्थन किया था। सरकार द्वारा चिकित्सा विभाग में कार्यरत नर्सिंग स्टाॅफ एवं लैब टैक्नीशियन को अनुभव के आधार पर बोनस अंक देते हुये सीधी भर्ती के माध्यम से पांच वर्ष पूर्व नियमित कर दिया गया परन्तु उन्हीं के साथ कार्यरत डाटा मैनेजर, काउन्सलर, फार्मासिस्ट एवं केयर काॅर्डिनेटर को छोड़ दिया गया।

जानकारी के अनुसार राजस्थान में लगभग 62 हजार एच.आई.वी. मरीजों के साथ कार्य करते हुये संविदा कार्मिकों को हमेशा संक्रमण का खतरा बना रहता है एवं इन मरीजों की जांच हेतु ब्लड सेम्पल लेने वाले कार्मिक भी हाईरिस्क पर रहते हैं। प्रतिवर्ष कई संविदाकर्मी इंफेक्शन की वजह से बीमार भी हो जाते हैं बावजूद इसके सरकार द्वारा इन्हें किसी भी प्रकार का भत्ता प्रदान नहीं किया जाता है।

हाल ही में सरकार के नवगठन के साथ ही चिकित्सा मंत्री बनाए गए डॉ. रघु शर्मा को संविदा कार्मिकों ने अपनी पीड़ा से अवगत कराते हुए उनसे नौकरी फिक्स करने की मांग की है। कार्मिकों ने बताया कि पिछले 10-12 वर्षों में सभी कार्मिकों ने नियमितिकरण एवं समान कार्य -समान वेतन को लेकर भी कई बार मांगे उठाई हैं किन्तु सरकार द्वारा एड्स कार्मिकों के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये।

वार्षिक वेतन वृद्धि घटा दी

ए.आर.टी सेन्टर पर काउन्सलर के पद पर कार्यरत पुष्पा प्रजापति एवं सीमा कुमावत ने बताया कि जहां सरकार ने सभी नियमित कर्मचारियों एवं अधिकारियों को सातवां वेतन आयोग की सौगात दी वहीं सभी एड्स कार्मिकों की वार्षिक वेतन वृद्धि 10 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत कर दी गई।

किस्मत ने भी नहीं दिया साथ

ए.आर.टी. सेन्टर अजमेर के काउन्सलर मो. सलीम खां ने बताया कि उनकी तो किस्मत ने भी साथ नहीं दिया। वर्ष 2013 में राजस्थान सरकार द्वारा विज्ञप्ति क्रमांक 1311 दिनांक 10 जुलाई 2013 द्वारा संविदा कार्मिकों हेतु बोनस अंक देते हुये सीधी भर्ती निकाली थी परन्तु कुछ समय बाद आचार संहिता लगने के कारण यह भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई और वर्ष 2014 में भाजपा सरकार ने इस भर्ती को खारिज़ कर सभी संविदा कार्मिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।

परामर्शदाता का नहीं कोई कैडर

ज.ला.ने. चिकित्सालय के ब्लड बैंक काउंसलर गंगासिंह ने बताया कि सरकार ने सभी संविदा कर्मियों हेतु कैडर बना रखा है परन्तु परामर्शदाता हेतु अभी तक कोई कैडर नहीं बनाया है जिससे परामर्शदाताओं को अनुभव आधारित बोनस अंक नहीं मिल पाते हैं।

एन ओ सी जारी की जा चुकी है

आई.सी.टी.सी. काउन्सलर रितेश सैमसन ने बताया कि नेशनल एड्स कन्ट्रोल सोसायटी द्वारा वर्ष 2014 में देश के सभी राज्य सरकारों को संविदा एड्स कार्मिकों हेतु एन.ओ.सी. जारी कर दी है जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि राज्य सरकार यदि एड्स कार्मिकों को अपने स्तर पर नियमित करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। 


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