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Rajasthan: राजस्थान सरकार पर 4 लाख 10 हजार करोड़ का कर्जभार

राजस्थान सरकार पर 4 लाख 10 हजार करोड़ का कर्जभार सरकार ने केंद्रीय करों में हिस्सा नहीं मिलने का आरोप लगाया। वित्त विभाग के अनुसार दो साल बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में बढ़कर 4 लाख 10 हजार करोड़ तक पहुंच गया। राज्य का कर्जभार बढ़ रहा है।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 02:25 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 02:25 PM (IST)
Rajasthan: राजस्थान सरकार पर 4 लाख 10 हजार करोड़ का कर्जभार
राजस्थान सरकार पर 4 लाख 10 हजार करोड़ का कर्जभार

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान का कर्जभार 4 लाख 10 हजार करोड़ तक पहुंच गया है। पौने तीन साल के कार्यकाल में अशोक गहलोत सरकार ने 1 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज लिया है। राज्य के प्रत्येक नागरिक पर करीब 52 हजार रुपये का कर्जा हो चुका है। कोरोना की दोनों लहरों में राज्य सरकार का खर्च ज्यादा बढ़ा तो कर्जा भी लिया। कोरोना काल में ही प्रत्येक व्यक्ति पर करीब 1300 रुपये तक का कर्ज बढ़ा है। जिस तरह से गहलोत सरकार नई घोषणाएं कर रही है। उन्हे पूरा करने के लिए और कर्ज लेगी। ऐसे में कर्ज का बोझ और बढ़ने की उम्मीद है।

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वित्त विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन वसुधंरा राजे सरकार के अंतिम वित्तीय वर्ष साल, 2018-19 में राज्य पर 3 लाख 11 हजार 373 करोड़ का कर्जा था, यह दो साल बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 में बढ़कर 4 लाख 10 हजार करोड़ तक पहुंच गया। राज्य का कर्जभार बढ़ रहा है। पुराने और नए कर्जों को मिलाकर सरकार अभी वार्षिक 25 हजार करोड़ का ब्याज विश्व बैंक सहित अन्य संस्थाओं को भर रही है। आगे देनदारियां और बढ़ने की उम्मीद है। राज्य के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राजस्थान की हिस्सा राशि कम कर दी है। साल,2020-21 में केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से का प्रावधान 46,886 करोड़ से घटाकर 32,885 करोड़ कर दिया है।

केंद्रीय करों में हिस्सा राशि 14 हजार करोड़ कम कर दी है। जीएसटी की हिस्सा राशि नहीं दी जा रही है। धारीवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने करीब 6 साल पहले योजनाओं का फंडिंग पैटर्न बदल दिया है। यह बदले पैटर्न में केंद्रीय योजनाओं में राज्यों पर खर्च का ज्यादा बोझ डाल दिया गया। इस कारण भी राज्य की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्ते चुकाने के बाद सरकार के पास योजना खर्च का पैसा बहुत कम बच रहा है।

सरकार कर्ज लेकर ही लगातार विकास के कार्य कराती है। भाजपा विधायक अभिनेश महर्षि और अशोक लाहोटी का कहना है कि राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन सही नहीं है। कोरोना का बहाना लेकर भ्रष्टाचार किया गया है। कोरोना की आड़ लेकर सरकार अपने वत्तीय कुप्रबंधन को छिपा नहीं सकती है। 


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