एक बार फिर कांग्रेस की तरफ लौट रहे दलित !
वसुंधरा राजे ने दलित उत्थान की कोशिश भी बहुंत की,लेकिन ये ब्यूरोक्रेसी द्वारा दिलचस्पी नहीं लेने के कारण सफल नहीं हो सकी।
By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 12 Feb 2018 03:35 PM (IST)Updated: Mon, 12 Feb 2018 03:35 PM (IST)
v style="text-align: justify;">जयपुर,नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान का दलित समाज एक बार फिर कांग्रेस की तरफ लौटने लगा है। करीब एक दशक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सोशल इंजीनियरिंग के चलते दलित समाज भाजपा से जुड़ा था,लेकिन अब दलित समाज का भाजपा से मोह भंग होने लगा है। कभी कांग्रेस का परम्परागत वोट बैंक माने जाने वाला दलित समाज भाजपा से जुड़ा तो वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 163 सीटें मिली और वसुंधरा राजे के नेतृत्व में सरकार बनी। लेकिन पिछले चार सालों में सरकार के मंत्रियों की बेरूखी और एक के बाद एक हुई दलित उत्पीड़न की घटनाओं ने दलितों को भाजपा से दूर करने काम किया।
वसुंधरा राजे ने दलित उत्थान की कोशिश भी बहुंत की,लेकिन ये ब्यूरोक्रेसी द्वारा दिलचस्पी नहीं लेने के कारण सफल नहीं हो सकी। हाल ही में सम्पन्न हुए अजमेर एवं अलवर संसदीय और मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में भाजपा की हार का कारण दलितों का फिर से कांग्रेस के साथ जुड़ना भी माना जा रहा है । उप चुनाव का परिणाम आने के बाद इंटेलिजेंस एजेंसियों ने सरकार को जो फीडबैक दिया है,उसमें दलितों का नाराजगी के प्रमुख कारण पांच दलितों की हत्या का गवाह बना "डांगावास काण्ड " दूसरा कारण" डेल्टा मेघवाल आत्महत्या प्रकरण " और तीसरा कारण सत्तारूढ़ दल भाजपा की ही दलित विधायक चन्द्रकांता मेघवाल के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा की गई बदसलूकी,चौथा कारण दलित विधायकों को सत्ता में महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिलना एवं पांचवा कारण दलित अधिकारियों को अच्छी पोस्टिंग नहीं मिलना माना जा रहा है ।प्रदेश के नागौर जिले में जाटों और दलितों के बीच जमीन को लेकर हुए संघर्ष में पांच दलितों की मौत हुई और एक दर्जन घायल हो गए । इस मामले में प्रदेश के सहकारिता मंत्री अजय सिंह पर जाटों को संरक्षण देने और दलितों की सुनवाई नहीं होने के आरोप लगे । इसी तरह बीकानेर के नोखा में दलित छात्रा डेल्टा मेघवाल के साथ कथित दूराचार और फिर छात्रा द्वारा आत्महत्या का मामला भी दलितों को भाजपा से दूर करने में प्रमुख कारण रहा । मृतक छात्रा डेल्टा मेघवाल के परिजनों से मिलने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो पहुंचे,लेकिन भाजपा नेताओं ने दूरी बनाए रखी । प्रकरण की सीबीआई जांच नहीं कराने को लेकर दलित समाज अधिक नाराज हो गया । इंटेलिजेंस एजेंसियों का फीडबैक मिलने के बाद भाजपा सक्रिय अवश्य हुई है,लेकिन अब चुनाव में मात्र 9 माह शेष बचे है,ऐसे में इतने कम समय दलितों को अपने साथ फिर से जोड़ना असंभव भले ही ना हो,लेकिन मुश्किल जरूर है ।
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