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Rajasthan Politics: सत्ता विरोधी लहर थामने में जुटे सीएम अशोक गहलोत, मतदाताओं को साधने के लिए चला सियासी दांव

Rajasthan Politics पिछले तीन दशक से प्रदेश का राजनीतिक रिवाज रहा है कि जो पार्टी एक बार सत्ता में रहती है वह विधानसभा चुनाव के बाद वापस लौटकर नहीं आती है लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार प्रदेश का रिवाज बदलकर फिर से कांग्रेस की सरकार बनाना चाहते हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalPublished: Sun, 19 Mar 2023 04:47 AM (IST)Updated: Sun, 19 Mar 2023 06:05 AM (IST)
Rajasthan Politics: सत्ता विरोधी लहर थामने में जुटे सीएम अशोक गहलोत, मतदाताओं को साधने के लिए चला सियासी दांव
Rajasthan Politics: सत्ता विरोधी लहर थामने में जुटे सीएम अशोक गहलोत (फाइल फोटो)

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब आठ महीने बाद होने हैं। पिछले तीन दशक से प्रदेश का राजनीतिक रिवाज रहा है कि जो पार्टी एक बार सत्ता में रहती है वह विधानसभा चुनाव के बाद वापस लौटकर नहीं आती है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बार प्रदेश का रिवाज बदलकर फिर से कांग्रेस की सरकार बनाना चाहते हैं।

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मतदाताओं को साधने की पूरी कोशिश

सत्ता विरोधी लहर थामने की कोशिश में जुटे गहलोत मतदाताओं को लुभाने में गहलोत कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। एक दिन पहले 19 जिले और तीन संभाग बनाकर गहलोत ने मतदाताओं को खुश करने की कोशिश की है। शिक्षा मंत्री बी.डी कल्ला का कहना है कि नये जिले और संभाग बनाने से पार्टी को चुनाव में निश्चित तौर पर लाभ होगा।

गहलोत ने इन विधानसभा क्षेत्रों को लेकर चला दांव

गहलोत ने आठ ऐसे विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय जिले बनाए हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति पिछले कई विधानसभा चुनाव में कमजोर रही है या तो कांग्रेस का उम्मीदवार जीता ही नहीं और अगर जीता भी है तो वह भी एक बार बहुत कम वोटों से जीता है। इनमें ब्यावर, नीम का थाना, पाली, कोटपुतली-बहरोड़, दूदू, सलूंबर, फलौदी एवं डीडवाना शामिल हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि इन क्षेत्रों में कांग्रेस काफी कमजोर थी। बांसवाड़ा को संभागीय मुख्यालय बनाकर आदिवासियों को साधने की कोशिश की गई है।

आदिवासी बहुल जिलों में आती हैं 25 विधानसभा सीटें

आदिवासी बहुल जिलों में 25 विधानसभा सीटें है। साथ ही सीकर को संभागीय मुख्यालय बनाकर जाट मतदाताओं को साधने की कोशिश की गई है। सीकर में जाट मतदाओं की संख्या ज्यादा है। शनिवार को कांग्रेस जयपुर स्थित कांग्रेस और भाजपा मुख्यालयों में गहलोत की घोषणाओं का विश्लेषण होता रहा। वहीं नये बने जिलों में कांग्रेसियों ने जश्न मनाया।

गहलोत की यह है रणनीति

गहलोत ने चुनावी रणनीति अपना ली है। उन्होंने जहां आम लोगों से जुड़ी बड़ी घोषणाएं की है। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने भाजपा के हिंदुत्ववादी एजेंडे से निपटने के लिए भी धार्मिक स्थलों को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल कर दिया है। जयपुर के अराध्यदेव गोविंद देव मंदिर को महाकाल की तर्ज पर विकसित करने, आदिवासियों के प्रमुख धार्मिक स्थल बेणेश्वर धाम के विकास पर एक सौ करोड़ खर्च करने और पुष्कर का विकास प्राधिकरण बनाकर करने की घोषणा कर गहलोत ने हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।

40 लाख महिलाओं को स्मार्ट मोबाइल फोन देने की घोषणा

सीएम ने रक्षाबंधन से 40 लाख महिलाओं को स्मार्ट मोबाइल फोन देने की घोषणा की है। इससे उन्होंने महिला मतदाओं को खुश करने की कोशिश कीहै। गहलोत ने बजट के दिन उज्ज्वला से जुड़ी महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर की घोषणा की थी। रोडवेज बसों में अब राजस्थान सीमा के भीतर महिलाओं का बस किराया आधा ही लगेगा। इससे पहले स्वास्थ्य के लिए चिरंजीवी योजना, नि:शुल्क जांच और दवा, बुजुर्गों को पेंशन योजना सीएम घोषित कर चुके हैं। गहलोत ने शनिवार को दिल्ली जाकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है।

खुशी के साथ नाराजगी भी

नये जिले बनाने से कई विधायक और कांग्रेसी खुश है। वहीं विधायक संदीप यादव अपने विधानसभा क्षेत्र भिवाड़ी को जिला नहीं बनाने से नाराज हैं। उन्होंने राज्यमंत्री स्तर के दर्ज से इस्तीफा दे दिया है। कामां की विधायक और शिक्षा राज्यमंत्री जाहिदा खान के खिलाफ शनिवार को लोगों ने नारेबाजी की। इधर बालोतरा के विधायक मदन प्रजापत को उनके समर्थकों ने शनिवार को चांदी के जूते पहनाए। दरअसल, प्रजापत पिछले एक साल से जूते नहीं पहने थे। उन्होंने बालोतरा के जिला बनने तक जूते नहीं पहनने का संकल्प लिया था जो शनिवार को पूरा हो गया।


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