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Rajasthan Politics: अशोक गहलोत बोले- मैं सीएम रहूं या न रहूं, 102 विधायकों को नहीं भूल सकता

Rajasthan अशोक गहलोत ने कहा कि मैं 102 विधायकों को कैसे भूल सकता हूं जिन्होंने सरकार पर संकट के समय मेरा साथ दिया था। सात दिन पहले विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाकर गहलोत ने खेमे ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी।

By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraPublished: Sun, 02 Oct 2022 05:37 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 05:49 PM (IST)
Rajasthan Politics: अशोक गहलोत बोले- मैं सीएम रहूं या न रहूं, 102 विधायकों को नहीं भूल सकता
अशोक गहलोत बोले- मैं सीएम रहूं या न रहूं, 102 विधायकों को नहीं भूल सकता। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Rajasthan Politics: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मिलकर माफी मांगने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश करने के तीन दिन बाद रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) यूटर्न लेते (पलटी मारते) नजर आए। दिल्ली में गहलोत ने कहा था कि मैं सीएम रहूं या नहीं रहूं, इसका निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी। लेकिन गहलोत फिलहाल मुख्यमंत्री पद छोड़ने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं।

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गहलोत गुट ने की थी ताकत दिखाने की कोशिश

दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने ऐसे बयान दिए, जिससे लग रहा है कि वे आसानी से कुर्सी छोड़ने वाले नहीं है। गहलोत ने रविवार को कहा कि मैं 102 विधायकों को कैसे भूल सकता हूं, जिन्होंने सरकार पर संकट के समय मेरा साथ दिया था। सात दिन पहले विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाकर गहलोत ने खेमे ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की थी।

इसलिए भड़के विधायक

अशोक गहलोत ने कहा कि जब विधायकों में भय था कि मैं अध्यक्ष बन जाऊंगा तो नया सीएम आएगा। इससे पूरे 102 विधायक इस कदर भड़क गए कि उन्होंने किसी की नहीं मानी। उन्हें इतना क्या भय था? इस पर रिसर्च करने की जरूरत है। यह नौबत क्यों आई, क्या कारण रहे। विधायक मेरी बात मानने को तैयार नहीं थे। विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा देकर आ गए। शायद उन्हें यह डर था कि मैं उन्हें किस के भरोसे छोड़कर दिल्ली जा रहा हूं। विधायकों ने कहा कि हमारे अभिभावक छोड़कर दिल्ली जा रहे हैं, ऐसे में सरकार बचाने वाले विधायकों को कैसे धोखा दे सकता हूं। मैंने विधायकों से कहा था कि मैं आपका अभिभावक हूं, अब उन्हें कैसे छोड़कर जा सकता हूं, इसलिए मैंने सोनिया से माफी मांगना मंजूर किया।

पर्यवेक्षकों पर उठाए सवाल

रविवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए अशोक गहलोत ने इशारों में विधायक दल की बैठक के लिए सोनिया गांधी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन पर सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि जब विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना होता है तो कांग्रेस अध्यक्ष के प्रतिनिधि के तौर पर पर्यवेक्षक आते हैं। पर्यवेक्षकों को चाहिए कि वे कांग्रेस अध्यक्ष की सोच, व्यवहार के ढंग से काम करें, ताकि सम्मान बना रहे। राजस्थान के मामले में अलग हो गया। यह तो इतिहास में लिखा जाएगा। गहलोत ने कहा कि ऐसी नौबत क्यों आई, हमारे नेताओं को सोचना चाहिए कि क्या हुआ?

गहलोत बोले, सर्वे करा लो

अशोक गहलोत बोले, मैंने अगस्त में ही सोनिया और माकन से कह दिया था कि आप चाहें तो जो सरकार वापस ला सके, उसे सीएम बना दीजिए, मैं पद छोड़ दूंगा। इसके लिए सर्वे करवा लिजिए। उन्होंने कहा कि मैं अपना काम कर रहा हूं, फैसला आलाकमान को करना है। एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना हमारी परंपरा रही है। मैंने सोनिया से मिलकर कहा कि मेरी जिम्मेदारी थी कि वह प्रस्ताव पारित करवाता, लेकिन वह नहीं हो पाया। गहलोत ने शनिवार को बीकानेर में कहा था कि मैं राजस्थान से दूर नहीं रह सकता। उन्होंने फरवरी में अगला बजट खुद ही पेश करने के संकेत दिए थे।

अमित शाह ने खिलाई थी मिठाई

अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा ने सरकार को गिराने की साजिश की । भाजपा हमारे विधायकों से मिली हुई थी। गृहमंत्री अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान व जफर इस्लाम सब बैठकर बातचीत कर रहे थे। हमारे विधायकों को हंस-हंसकर मिठाई खिला रहे थे। कह रहे थे कि थोड़ा इंतजार करो। विधायकों को दस करोड़ मिल रहे थे। उस समय जब राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाने की घोषणा कर दी तो भाजपा 58 करोड़ तक विधायकों को दे रही थी।

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