Rajasthan: अशोक गहलोत कोविड मैनेजमेंट में जुटे, विरोधी बना रहे रणनीति; जानें-पायलट खेमे की नाराजगी का कारण
Rajasthan वैसे तो पायलट खेमा अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूक रहा लेकिन कोरोना संक्रमण पर लगाम लगने के बाद जून से फिर पायलट समर्थक विधायक सार्वजनिक रूप से अपनी ताकत दिखाने की रणनीति बना रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से सुलग रही सियासी आग अब भड़कने लगी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के विधायक फिर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे हैं। वैसे तो पायलट खेमा अशोक गहलोत सरकार पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं चूक रहा, लेकिन कोरोना संक्रमण पर लगाम लगने के बाद जून से फिर पायलट समर्थक विधायक सार्वजनिक रूप से अपनी ताकत दिखाने की रणनीति बना रहे हैं। महामारी कम होते ही पायलट समर्थक विधायक दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करने पर विचार कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस आलाकमान ने पायलट समर्थक वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे और वेदप्रकाश सोलंकी के सार्वजनिक बयान के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को विधायकों से संवाद करने का जिम्मा सौंपा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने डोटासरा से कहा कि वे पार्टी के सभी विधायकों से बात कर उनकी समस्याएं पूछे और फिर सरकार के स्तर पर इनका समाधान कराए। माकन के निर्देश के बाद डोटासरा विधायकों से बात करने में जुटे हैं, हालांकि पायलट समर्थक उन्हे कोई खास तवज्जो नहीं दे रहे। दो विधायकों ने तो डोटासरा से कहा बताया कि जब कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय कमेटी की ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं सुन रहे तो आपकी क्या सुनवाई होगी। पायलट खेमे के अतिरिक्त अन्य कई कांग्रेस विधायकों ने सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होने की बात कही है। एक तरफ पायलट समर्थक विधायक गहलोत पर दबाव बना रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री फिलहाल कोविड मैनेजमेंट में जुटे हैं। सीएम लगातार कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने को लेकर बैठक लेकर पीड़ितों को राहत पहुंचाने में जुटे हैं। हालांकि गहलोत समर्थक विधायक पायलट खेमे की रणनीति को देखते हुए एकजुट होने लगे हैं।
गहलोत के विश्वस्त एक निर्दलीय विधायक का कहना कि सीएम को 100 से ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है। निर्दलीय विधायक केवल गहलोत के कारण कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। बसपा के भी छह विधायक सीएम की वजह से ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। हेमाराम चौधरी द्वारा तीन दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को इस्तीफा भेजे जाने के बाद सीएम ने फोन कर कई विधायकों से बात की है। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा विधायकों से संपर्क साध कर गहलोत खेमा मजबूत करने में जुटे हैं। वहीं, पायलट समर्थक पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह,रमेश मीणा व वेदप्रकाश सोलंकी आगे की रणनीति बना रहे हैं।
पायलट खेमे की नाराजगी का कारण
पिछले साल पायलट खेमे की बगावत के समय कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष स्वर्गीय अहमद पटेल, महासचिव प्रियंका गांधी के दखल के बाद समझौता हुआ था। पायलट समर्थक विधायक मानेसर से वापस जयपुर लौटे थे। उस समय उन्हें मंत्रिमंडल विस्तार,राजनीतिक नियुक्तियों में हिस्सेदारी के साथ ही सत्ता व संगठन के निर्णयों में भागीदारी देने का वादा किया गया था। वादा किया गया था कि प्रदेश सत्ता व संगठन को लेकर जो भी फैसले होंगे, वे उच्च स्तरीय कमेटी में तय होंगे। लेकिन सीएम ने बिना किसी की सलाह के पिछले कुछ समय में कई राजनीतिक नियुक्तियां कर दीं, मंत्रिमंडल का विस्तार भी टाल रहे हैं। पायलट समर्थकों की मंत्री और अधिकारी सुनवाई नहीं करते। इस कारण इन विधायकों में नाराजगी लगातार बढ़ रही है।