पहलू खान मामले में वसुंधरा सरकार की भूमिका की जांच कराएगी गहलोत सरकार
Alwar Mob Lynching. सीएम अशोक गहलोत के मुताबिक पहलू खान के मामले में पूर्व सरकार ने लापरवाही की तभी आरोपितों के खिलाफ सुबूत नहीं मिल सके और वे बरी हो गए।
जयपुर, नरेंद्र शर्मा। पहलू खान उन्मादी हिंसा (मॉब लिंचिंग) मामले को लेकर राजस्थान में राजनीति तेज हो गई है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहलू खान प्रकरण के आरोपितों के अलवर एडीजे कोर्ट से बरी होने के लिए तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि पिछली सरकार की लापरवाही के कारण आरोपित बरी हो गए। गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में वसुंधरा राजे सरकार की भूमिका की जांच कराएगी। उन्होंने कहा कि तब सरकार ने अपनी मर्जी से जांच कराने के लिए चार जांच अधिकारी बदले, जांच में कमियां रखी गईं, जिसके कारण आरोपित बरी हो गए।
गहलोत ने कहा कि कोर्ट में पिछली सरकार में पहलू खान मामले को लेकर चालान पेश हो गया था। इस मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, लेकिन पिछली सरकार ने आरोपितों की ना तो शिनाख्त कराई थी और ना ही वो मोबाइल जब्त किया था, जिसमें पहलू खान के साथ मारपीट की रिकॉर्डिंग हुई थी।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने "दैनिक जागरण" से बातचीत में कहा कि सरकार वर्ग विशेष के लिए काम कर रही है। गहलोत सरकार एक तरफ तो मॉब लिंचिंग के लिए कानून बना रही है। पहलू खान मामले की दोबारा जांच करा रही है। वहीं, दूसरी तरफ अलवर के ही हरीश जाटव मॉब लिंचिंग मामले में एक्शन नहीं ले रही है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने कांग्रेस के नेताओं और सरकार के दिमाग में वोट और जातियां भरी हुई है। अलवर के ही हरीश जाटव मॉब लिंचिंग मामले में दूसरा पक्ष मेव समाज था, इसलिए गहलोत सरकार इसे मॉब लिंचिंग नहीं मान रही। लेकिन पहलू खान मामले में सामने वाला हिंदू है,इस वजह से मॉब लिंचिंग हो गई। कांग्रेस की यह हालत मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ही हुई है।
जघन्य अपराधों के लिए मॉनिटरिंग यूनिट बनेगी
सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भविष्य में गंभीर व सनसनीखेज अपराधों का त्वरित एवं प्रभावी अनुसंधान कराने के लिए प्रदेश स्तर पर "जघन्य अपराध मॉनिटरिंग यूनिट" बनाने का निर्णय लिया गया है। पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को इस यूनिट का प्रभारी बनाया गया है । एक डीआईजी और दो पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी भी इसमें शामिल होंगे। दो कानूनी विशेषज्ञों को इसमें रखा जाएगा,जिससे न्यायालय में इस तरह के मॉमलों की पैरवी पर लगातार नजर रखी जा सके।
पहलू खान मामले की चर्चा करते हुए गहलोत ने कहा कि 1 अप्रैल, 2017 को घटना हुई । 16 घंटे बाद 2 अप्रैल को एफआईआर दर्ज हुई और चार दिन बाद मेडिकल हुआ। मामले में तीन अलग-अलग अधिकारियों ने की और तीनों ने नामजद आरोपितों को घटना में शरीक माना था,लेकिन जिन छह लोगों को नामजद किया,उन्हे गिरफ्तार नहीं किया गया। नामजद के बजाय दूसरे लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में एसआईटी बना दी और 15दिन में यह अपनी रिपोर्ट देगी। एसआईटी की रिपोर्ट के बाद सरकार अनुसंधान में कमी रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेगी।उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने को लेकर सरकार सतर्क है। गहलोत ने कहा कि कानून सबके लिए बराबर है। चाहे कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म का हो,कानून अपना काम करेगा।
जानें, क्या है मामला
पहलू खान और उसके दोनों बेटों के साथ तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में एक अप्रैल, 2017 को मारपीट हुई थी। इसके तीन दिन बाद पहलू खान की मौत हो गई थी। मामला अलवर से लेकर जयपुर और फिर दिल्ली में संसद से लेकर पूरे देश में गूंजा था। राजनीतिक दलों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव के चलते तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने मामले की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी थी। उसने उन छह लोगों को निर्दोष बताया था, जिनके नाम पहलू खान ने मौत से पहले पुलिस को बयान में बताए थे। ये सभी बरी हुए तो फिर हंगामा हुआ।
प्रियंका ने फैसले पर जताया आश्चर्य
इसी बीच, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा कि पहलू खान मामले में निचली अदालत का फैसला चौंका देने वाला है । हमारे देश में अमानवीयता के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। भीड़ द्वारा हत्या एक जघन्य अपराध है। अलबत्ता, अशोक गहलोत सरकार की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा उन्मादी हिंसा के खिलाफ कानून बनाने की पहल करना सराहनीय है। आशा है कि पहलू खान मामले में न्याय दिलाकर इसका अच्छा उदाहरण पेश किया जाएगा।
बसपा विधायक बोले-गहलोत सही, मायावती गलत
पहलू खान मामले को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोपितों के बरी होने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया। मायावती ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस सरकार की लापरवाही व निष्क्रियता के कारण आरोपित बरी हो गए हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के मामले में सरकार अगर सतर्क रहती तो शायद यह नहीं होता। मायावती के ट्वीट के बाद शुक्रवार देर शाम बसपा विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने मीडिया से कहा कि मायावती को लखनऊ में बैठकर पूरे मामले की जानकारी नहीं हो सकती। इस मामले में गहलोत सही और मायावती गलत हैं। गुढ़ा ने कुछ दिनों पहले मायावती पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगाया था।