Rajasthan Budget: आर्थिक तंगी से बाहर निकालने के उपायों पर होगी नजर
Rajasthan Budget. राजस्थान में सरकार बनने के बाद गहलोत ने पिछले वर्ष 10 जुलाई को अपने मौजूदा कार्यकाल का पहला बजट पेश किया था।
जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Budget. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को अपने मौजूदा कार्यकाल का दूसरा बजट पेश करेंगे। बजट में उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश को आर्थिक तंगी के हालात से बाहर निकालने की रहेगी। माना जा रहा है कि इसके लिए निवेश बढ़ाने के उपायों, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्टस और रीयल एस्टेट सेक्टर पर फोकस किया जा सकता है। इसके अलावा आय बढ़ाने के लिए कुछ उपकर भी लगाए जासकते है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को अधिकारियों के साथ बजट को अंतिम रूप दिया। वे गुरुवार सुबह 11 बजे बजट पेश करेंगे।
राजस्थान में सरकार बनने के बाद गहलोत ने पिछले वर्ष 10 जुलाई को अपने मौजूदा कार्यकाल का पहला बजट पेश किया था। इस बजट में ज्यादातर बड़ी घोषणाएं सरकार के पांच साल के कार्यकाल से जुड़ी हुई थी। गहलोत ने कई उद्योग, निवेश, कृषि आदि से जुड़ी कई नीतियों और कार्यक्रमों की घोषणा की थी, जिन पर अगले पांच साल में काम किया जाना है। इनमें से कुछ नीतियां जारी हो चुकी हैं और कुछ पर काम चल रहा है। ऐसे में इस बार के बजट में एक वर्ष की कार्ययोजना के हिसाब से घोषणाएं होने की उम्मीद है। वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि चूंकि कार्यकाल का दूसरा वर्ष है, इसलिए कोई बहुत बड़ी घोषणाओ की संभावना नहीं है और मुख्य जोर इस बात पर रहने वाला है कि आर्थिक तंगी से कैसे निकला जाए।
दरअसल, पिछले बजट में सरकार की आय और खर्च का जो अनुमान लगाया गया था, उसके मुकाबले काम बहुत कम हुआ है। आय की बात करें तो दिसंबर तक की तीसरी तिमाही तक राजस्व आय का सिर्फ 61.65 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हो पाया था। इसमें भी करों से होने वाली आय सिर्फ 58.19 प्रतिशत ही थी। वहीं, खर्च की बात करें तो कुल बजट अनुमानों की 60 प्रतिशत राशि खर्च की गई थी। वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि आर्थिक तंगी के चलते खर्च ज्यादा हो नहीं पाया। विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि में भी कमी रही, क्योंकि समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं भेजे जा सके। जहां तक आय का सवाल है तो पूरे देश में चल र ही आर्थिक मंदी का असर यहां भी रहा।
यही कारण रहा कि जीएसटी सिर्फ 56 प्रतिशत मिल पाया और सेल टैक्स से सिर्फ 59.53 प्रतिशत आय हो पाई, जबकि इससे पिछले वर्ष में इन दोनों से अच्छी आय हो गई थी। इसके अलावा इस बार केंद्र ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के जो संशोधित अनुमान जारी किए हैं, उनमें राज्य को कुल मिला कर करीब 20 हजार करोड़ रुपये कम मिलने की स्थिति बन गई है। आय में कमी का असर यह है कि इस समय सभी विभागों में ज्यादातर बड़ी परियोजनाओं के बिलों के भुगतान रोक दिए गए हैं और मुख्यतौर पर वेतन व पेंशन का भुगतान किया जा रहा है।
इन हालात से निकलने के लिए इस बार निवेश बढ़ाने के लिए कुछ और नई योजनाएं आने की उम्मीद हैं। सरकार का जोर राजस्थान के हस्तशिल्प और इससे जुड़े लघु व कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने पर हो सकता है। इसके अलावा खनिज और पर्यटन में कुछ नई घोषणाएं हो सकती हैं। इसके साथ ही बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोेजेक्ट जैसे जयपुर मैट्रो के दूसरे चरण की शुरुआत, बड़ी सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं आदि पर फोकस किया जा सकता है। बिजली की दरें सरकार पहले ही बढ़ा चुकी है, इसलिए कोई नया और बड़ा भार जनता पर नहीं डाला जाएगा। हालांकि वाहन खरीद या शराब व तंबाकू आदि पर उपकर लगाए जा सकते हैं।