राजस्थान भाजपा में नेताओं की बढ़ेगी सक्रियता, वसुंधरा विरोधी नेताओं की होगी वापसी
राजस्थान भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के विरोधी नेता एकजुट होने लगे हैं। वसुंधरा राजे से नाराजगी के कारण भाजपा छोड़कर जाने वाले दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी की पिछली सप्ताह पार्टी में वापसी हुई।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री व पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे के विरोधी नेता एकजुट होने लगे हैं। वसुंधरा राजे से नाराजगी के कारण भाजपा छोड़कर जाने वाले दिग्गज नेता घनश्याम तिवाड़ी की पिछली सप्ताह पार्टी में वापसी हुई।
अब प्रदेश नेतृत्व पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह, पूर्व सांसद सुभाष महिरया, पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवां व सुरेंद्र गोयल को वापस भाजपा में लाने को लेकर प्रयास में जुट गए हैं। ये सभी नेता वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए उनसे नाराजगी के कारण पार्टी छोड़कर गए थे। ये सभी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे के नेता केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया व उप नेता राजेंद्र राठौड़ इन नेताओं को पार्टी में वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा में रहते हुए लंबे समय तक वसुंधरा राजे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से मोर्चा खोलने और फिर नई पार्टी बनाने वाले घनश्याम तिवाड़ी की वापसी को लेकर वसुंधरा राजे और उनके समर्थक नेता नाराज है। लेकिन प्रदेश नेतृत्व इस नाराजगी को दरकिनार करते हुए वसुंधरा राजे के कट्टर विरोधी मानवेंद्र सिंह की वापसी को लेकर सक्रिय हो गया।
वसुंधरा राजे से नाराजगी के कारण पूर्व केंद्रीय मंत्री व दिग्गज भाजपा नेता स्व.जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़ी थी। उन्होंने पहले कांग्रेस के टिकट पर वसुंधरा राजे के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर बाड़मेर-जैसलमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ा।
हालांकि दोनों चुनाव हार गए। साल, 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर भाजपा छोड़ने वाले पूर्व मंत्री सुरेंद्र गोयल व राजकुमार रिणवां भी कांग्रेस में शामिल हो गए। ये सभी नेता भाजपा की पृष्ठभूमि में सालों तक काम करने के बाद भाजपा में शामिल तो हो गए,लेकिन वहां की कार्यशैली और संस्कृति में खुद को नहीं ढाल पा रहे थे। इसके साथ ही कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी इन्हे पार्टी की मुख्ययधारा से अलग रखा गया।