Rajasthan: भाजपा का आरोप, दहशत का वातावरण बना कर सीएम गहलोत ने निकाला शांति मार्च
Rajasthan BJP. सतीश पूनिया ने कहा कि अशोक गहलोत ने जनता को घरों में कैद करके इंटरनेट बंद करके दहशत का वातावरण बना कर शांति मार्च निकाला है।
जयपुर, जेएनएन। Rajasthan BJP. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजस्थान अध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने रविवार को जयपुर में निकाले गए कांग्रेस के शांति मार्च पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने जनता को घरों में कैद करके, इंटरनेट बंद करके, दहशत का वातावरण बना कर शांति मार्च निकाला है।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि गहलोत को यह बताना चाहिए कि एक समुदाय विशेष की भीड़ का नेतृत्व कर क्या संदेश देना चाह रहे थे और लोकतंत्र का कौन सा रूप दिखा रहे थे, जिसमें जबरन लोगों की दुकाने बंद करवा दी गईं, शहर के यातायात को अवरुद्ध कर दिया गया। इतिहास में पहली बार हुआ, जब अपनी ही जनता में डर और दहशत पैदा कर मुख्यमंत्री सड़क पर उतरे। पूनिया ने कहा कि दो दिन पहले नागरिता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में भाजपा के हजारों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था जिसका शहर के लोग स्वागत कर रहे थे, न किसी को इंटरनेट बंद करने की जरूरत न पड़ी, न किसी दशहत थी और आज खुद सरकार न्याय के खिलाफ सड़क पर उतरी और डर के मारे लोग घरों में कैद हो गए।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पड़ोसी इस्लामिक देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आए मूल भारतवंशियों को नागरिकता देने के लिए कानून में संशोधन किया है तो इसमें अशोक गहलोत को इतनी क्या आपत्ति है कि वो सारी सरकार को सारा काम छोड़ कर एक समुदाय विशेष की भीड़ के साथ सड़क पर उतार रहे हैं, लोगों को डरा रहे है और जनता को भ्रमित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस तरह के आचरण से राजस्थान जैसे गौरवशाली प्रदेश की जनता का सर शर्म से झुक गया।
पूनिया ने कहा कि सरकार की मशीनरी लगा कर एक समुदाय विशेष की भीड़ बुलाई गई, जिनमें से अधिकांश लोगों को ये भी नहीं पता था कि वो आए क्यों हैं। पूनिया ने कहा कि सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन तो जोधपुर में हुआ था तो गहलोत वहां जाकर शांति मार्च निकालना चाहिए था। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री मजबूत इच्छा शक्ति वाले राजनेता हैं। उन्होंने दशकों से पीड़ित लोगों को न्याय देने और उन्हें सम्मान की जिंदगी देने के लिए भारत की परंपरा और संविधान के अनुसार इस कानून के संशोधन को संसद में पारित करवाया है।
अशोक गहलोत अपनी वोट बैंक की नीति के लिए कितना भी नाटक कर लें, लेकिन उन्हें इसे राजस्थान में लागू करना पड़ेगा। गहलोत को भी एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ कर ये कहना चाहिए था कि ये विधेयक केवल नागरिकता देने का है, किसी की भी नागरिकता लेने का नहीं है, पर दुर्भाग्य है कि केवल गांधी परिवार को खुश करने के लिए उन्होंने ऐसा नहीं किया।
यह भी पढ़ेंः सीएम अशोक गहलोत बोले, राजस्थान में लागू नहीं होगा सीएए व एनआरसी