Delhi Violence: हेड कांस्टेबल रतनलाल को मिला शहीद का दर्जा, परिवार के एक सदस्य को मिलेगी नौकरी
Delhi Violence अंतिम यात्रा से पहले हेड कांस्टेबल रतनलाल की पार्थिव देह घर पर पहुंची तो पत्नी पूनम व मां संतरा देवी सहित परिजनों को रो- रो कर बुरा हाल था।
जयपुर, जेएनएन। Delhi Violence: दिल्ली में हुई हिंसा का शिकार हुए हेड कांस्टेबल रतनलाल का बुधवार को उनके पैतृक गांव सीकर के तिहावली में अंतिम संस्कार कर दिया गया। रतनलाल के सात वर्ष के बेटे ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनके परिजन और ग्रामीण रतनलाल को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर सुबह से ही हाइवे रोक कर बैठे थे। अंतिम संस्कार में पहुंचे सीकर के सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने केंद्र सरकार द्वारा रतनलाल को शहीद का दर्जा दिए जाने की घोषणा की। इसके बाद रतनलाल का अंतिम संस्कार हो पाया।
शहीद रतनलाल की पार्थिव देह दिल्ली से उनके गांव आ रही थी। उनके परिजन और ग्रामीण मंगलवार से ही उन्हें शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे थे। सुबह जब उनकी पार्थिव देह आने का समय हुआ उससे पहले ही गांव वाले गांव से तीन किलोमीेटर दूर से गुजर रहे नेशनल हाईवे पर धरना देकर बैठ गए थे। करीब छह घंटे प्रदर्शन व जाम के बाद सीकर सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती ने गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी से बात की और रतनलाल को शहीद का दर्जा दिलाने व एक करोड़ के मुआवजे की घोषणा के बाद ग्रामीणों ने अंतिम संस्कार होने दिया।
अंतिम यात्रा में तिहावली के अलावा आसपास के कई गांवों और झुंझुनूं तक के सैकड़ों लोग शामिल हुए। पूरी यात्रा में शहीद रतनलाल अमर रहे, वंदेमातरम व भारत माता के गगनभेदी जयकारे लगातार लगते रहे। अंत्येष्टि स्थल पर गार्ड ऑफ ऑनर के साथ हुए अंतिम संस्कार हुआ। अंतिम यात्रा से पहले रतनलाल की पार्थिव देह घर पर पहुंची तो पत्नी पूनम व मां संतरा देवी सहित परिजनों को रो- रो कर बुरा हाल था। उन्हें देखकर हर किसी की आंख वहां नम हो गई। इस दौरान झुंझुनूं सांसद नरेन्द्र खीचड़, सीकर सांसद सुमेधानंद सरस्वती, फतेहपुर विधायक हाकम अली, पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया सहित कई प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
मिला शहीद का दर्जा
एएनआइ के मुताबिक, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल को कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए अपनी जान गंवानी पड़ी। उन्हें शहीद का सम्मान दिया गया है और उनके परिवार को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। हम उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी भी प्रदान करेंगे।
सीएम अशोक गहलोत ने जताया दुख
दिल्ली में सोमवार को उपद्रवियों की ¨हसा में जान गंवाने वाले हेड कांस्टेबल रतनलाल को शहीद का दर्जा देने की मांग उठी है। रतनलाल सीकर जिले के तिहावली गांव के रहने वाले थे। मंगलवार को उनके गृह ग्राम से लेकर राजस्थान विधानसभा तक में उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग उठी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने उनके निधन पर दुख प्रकट किया है। उनके निधन की खबर आने के बाद से गांव में शोक की लहर है।
गांव की पंचायत में उमड़े ग्रामीणों ने उन्हें शहीद का दर्जा देने के साथ ही आश्रितों को मुआवजा देने और गांव के स्कूल के स्टेडियम का नाम रतनलाल के नाम पर रखने की मांग की है। रतनलाल की मां संतरा देवी और भाई दिनेश गांव में ही परिवार के साथ रहते हैं। स्वजनों ने मीडिया से चर्चा में बताया कि दो दिन पहले ही रतनलाल ने फोन पर मां और छोटे भाई से बातचीत की थी। तब रतनलाल ने मां से कहा था कि इस बार छुट्टी लेकर परिवार के साथ होली पर गांव आएंगे। ग्रामीणों ने बताया कि करीब ढाई साल पहले ही रतनलाल के पिता बृजमोहन का निधन हुआ था। तीन भाइयों में रतनलाल सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई दिनेश गांव में ही खेतीबाड़ी कर और गाड़ी चलाकर आजीविका कमाता है।
एक अन्य छोटा भाई रमाकांत बंगलुरु में रहकर निजी कामकाज करता है। रतनलाल वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। उनके परिवार में 12 साल की बेटी सिद्धि, 10 साल की बेटी कनक और सात साल का बेटा राम है। दी गई श्रद्धांजलि राजस्थान विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान फतेहपुर से विधायक हाकम अली ने बताया कि रतनलाल उनकी ही विधानसभा क्षेत्र के निवासी थे। ऐसे में राजस्थान सरकार से उनकी मांग है कि रतनलाल को शहीद का दर्जा दिया जाए। उनकी अंत्येष्टि में उन्हें शहीद जैसा ही सम्मान दिया जाए। राजस्थान विधानसभा में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में भी दो मिनट मौन रखकर रतनलाल को श्रद्धांजलि दी गई।