Rajasthan: जमीन के मुआवजे के लिए पेड़ों से चिपके दौसा के किसान
Protest In Dausa. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए दौसा जिले के किसानों ने पेड़ों से चिपको आंदोलन शुरू किया।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। Protest In Dausa. राजस्थान के आठ जिलों से गुजर रहे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए सोमवार को दौसा जिले के किसानों ने 'पेड़ों से चिपको' आंदोलन शुरू किया। हालांकि, बाद में जिला कलेक्टर से चर्चा के दौरान मिले आश्वासन के बाद किसान मान गए और आंदोलन स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि राजस्थान में उक्त एक्सप्रेस वे दौसा सहित राज्य के आठ जिलों अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, कोटा, बूंदी और झालावाड़ से होते हुए दिल्ली-से मुंबई तक बनेगा। इसके लिए अधिगृहित जमीन के पर्याप्त मुआवजे को लेकर संबंधित जिलों के किसान आंदोलन कर रहे हैं।
आंदोलनकारी किसानों के नेतृत्व कर रहे हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि हमने पहले जमीन समाधि आंदोलन किया था, तब सरकार से हमारी वार्ता हुई थी और 13 बिंदुओं पर निर्णय भी हुआ था, लेकिन इस बीच में सरकार ने इस समझौते पर कोई काम नहीं किया। इस बीच, हाइवे का निर्माण करने वाली कंपनी ने हमारे खेतों में लगे पेड़ पौधे हटाने शुरू कर दिए हैं। सोमवार से हमने राज्यसभा सदस्य किरोडी लाल मीणा के नेतृत्व में पेड़ों से चिपको आंदोलन शुरू किया था।
बाद में कलेक्टर ने हमें वार्ता के लिए बुलाया और कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण समझौते पर कार्रवाई नहीं हो पाई। अब इस पर कार्रवाई के लिए सरकार को पत्र लिखा जा रहा है और जब तक सरकार का फैसला नहीं आ जाता, तब तक काम बंद रहेगा। हिम्मत सिंह ने बताया कि कलेक्टर के आश्वासन के बाद हमने अभी आंदोलन स्थगित कर दिया है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले राजस्थान में जयपुर के पास नींदड़ गांव में जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ यहां के किसानेां ने एक बार फिर जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया था।
नींदड़ गांव में भूमि अधिग्रहण पर विवाद का यह मामला काफी समय से चल रहा है। यहां के किसानों ने नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति के तहत पहले भी आंदोलन किया था। उस समय सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने आंदेालनकारियों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर आंदोलन स्थगित करवा दिया था। किसानों की मांग है कि उन्हें 2014 में पारित भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा दिया जाए, जबकि जयपुर विकास प्राधिकारण इसके लिए तैयार नहीं है, क्योंकि भूमि अधिग्रहण पहले ही हो चुका था।