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राजस्थानः एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संतुष्ट नहीं किसान, शुरू किया महापड़ाव

Protest of Farmer. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर राजस्थान के किसान संतुष्ट नहीं हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 06:33 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:33 PM (IST)
राजस्थानः एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संतुष्ट नहीं किसान, शुरू किया महापड़ाव
राजस्थानः एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे से संतुष्ट नहीं किसान, शुरू किया महापड़ाव

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर राजस्थान के दौसा सहित अन्य जिलों के किसान संतुष्ट नहीं हैं। इसे लेकर दौसा के भाण्डारेज में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास महापड़ाव शुरू कर दिया है। किसानों की मांग है कि उन्हें बाजार दर से मुआवजा दिया जाए।

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे राजस्थान से होकर गुजरेगा और राजस्थान के अलवर, दौसा, सवईमाधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़ जिलों में इसके लिए भूमि अधिग्रहीत की जा रही है। इसमें से करीब 82 किलोमीटर का हिस्सा दौसा जिले से होकर गुजरेगा। इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नियमों के अनुसार, शहरी क्षेत्र मे आरक्षित दर का ढाई गुना और ग्रामीण क्षेत्र में आरक्षित दर का चार गुना मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। किसान इस मुआवजे से संतुष्ट नहीं है और इसे लेकर यहां लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। अब किसानों ने शनिवार से इस मामले को लेकर दौसा के भाण्डारेज में राष्ट्रीय राजमार्ग के पास महापड़ाव शुरू कर दिया है। इस महापड़ाव में दौसा के अलावा अन्य प्रभावित जिलों के करीब 2000 किसान मौजूद हैं।

इस मामले को लेकर बनाई गई किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष हिम्मत सिंह का कहना है कि मुआवजे का फैक्टर राज्य सरकार तय करती है और इसमें कई खामियां है। इसके चलते हम किसानों को बहुत कम मुआवजा मिल रहा है। दौसा ही नहीं बल्कि आस पास के अन्य जिलों में भी आरक्षित दर बहुत कम है। इसके अलावा इसमें भिन्नता भी बहुत ज्यादा है। इसीलिए हमारी सरकार सेमांग है कि बाजार दर के अनुसार मुआवजा दिया जाए। इस मांग को लेकर हम लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब हमने महापड़ाव शुरू कर दिया है। हालांकि सरकार के मंत्रियों ने आकर हमसे बात की है और यह आश्वासन दिया है कि सरकार इस बारे में कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर कोई निर्णय करेगी, लेकिन हमें सरकार से ठोस आश्वासन चाहिए, क्योंकि इससे बहुत बड़ी संख्या में किसान प्रभावित हो रहे हैं।  

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