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Rajasthan: फीस वसूली को लेकर निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने

School Fees राजस्थान सरकार ने स्कूल नहीं खुलने तक फीस वसूलने पर रोक लगा दी है। वहीं निजी स्कूल संचालक इसे तुगलकी फरमान बता कर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 06:14 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 06:14 PM (IST)
Rajasthan: फीस वसूली को लेकर निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने
Rajasthan: फीस वसूली को लेकर निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने

राज्य ब्यूरो, जयपुर। School Fees: राजस्थान में लाॅकडाउन के दौरान निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूली का मामला उलझ गया है। इस मुद्दे को लेकर सरकार और निजी स्कूल संचालक आमने-सामने हो गए है। सरकार ने स्कूल नहीं खुलने तक फीस वसूलने पर रोक लगा दी है। वहीं, निजी स्कूल संचालक इसे तुगलकी फरमान बता कर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। इस आंदोलन में निजी स्कूलो के शिक्षक भी शामिल है, क्योंकि फीस नहीं मिलने के नाम पर स्कूल संचालकों ने उनका वेतन रोक रखा है। राजस्थान में कोरोना लाॅकडाउन के दौरान सरकार ने 30 जून तक निजी स्कूलों की फीस वसूली पर रोक लगाई थी।

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अब इस रोक को और बढ़ा दिया गया है और यह निर्देश दिए गए हैं कि जब तक स्कूल नहीं खुलते, तब तक निजी स्कूल ना फीस ले सकेंगे और ना ही किसी बच्चे को स्कूल से निकाल सकेंगे। शिक्षामंत्री से मिलने गए शिक्षकों और निजी स्कूल संचालकों से शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ कह दिया कि अभी कोर्स तैयार नहीं है, सिलेबस का पता नहीं है, स्कूल कब से खुलेंगे यह पता नहीं है तो फिर किस बात की फीस ली जा रही है।

सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों को तो फौरी राहत मिल गई है, लेकिन निजी स्कूलों को सरकार का निर्णय रास नहीं आ रहा है। निजी स्कूलों ने सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर ली है। इसके लिए शिक्षा बचाओ संघर्ष समिति महासंघ गठित किया गया है।

महासंघ की संयोजक हेमलता शर्मा ने बताया कि राजस्थान में 50 हजार से ज्यादा निजी स्कूल हैं। इनमें से 40 हजार से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं, जो 10 हजार रुपये प्रतिवर्ष से कम फीस लेते हैं। सरकार के इस निर्णय से इन स्कूल संचालकों के लिए खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है और वे आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा इन स्कूलों में करीब दस लाख शिक्षक और कर्मचारी काम कर रहे हैं। फीस नहीं मिलने के कारण इन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा है, जबकि ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है। ऐसे में शिक्षकों को दोहरा काम भी करना पड़ रहा है और वेतन भी नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार खुद ऑनलाइन पढ़ाई करवा रही थी। सरकारी स्कूलों में प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है। ऐसे में मंत्री कैसे कह सकते हैं कि अभी कोर्स या सिलेबस ही तैयार नहीं है। हेमलता शर्मा ने कहा कि अभिभावकों की परेशानी हम भी समझते है और हम चाहते हैं कि सरकार हमें पैकेज दे तो हम पूरे वर्ष की फीस माफ कर देंगे। उन्होंने बताया कि हम सरकार को एक सप्ताह का समय दे रहे हैं। इस सप्ताह में सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो हम प्रदेशभर में बड़ा आंदोलन करेंगे। उधर, इस आंदोलन में निजी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं, जो बुधवार को जयपुर में प्रदर्शन कर चुकेे हैं।

फीस माफी को लेकर अभिभावकों के आंदोलन

वहीं, फीस माफी की मांग को लेकर अभिभाावक भी सड़कों पर उतरे हुए हैं। पिछले दिनों अकेले जयपुर में अभिभावकों की ओर से तीन-चार प्रदर्शन हो चुके हैं। वहीं, पेरेंटस वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दिनेश कावंट का कहना है कि जब स्कूल चल ही नहीं रहे हैं तो फीस किसलिए दी जाए। उनका कहना है कि निजी स्कूलों ने फीस वसूली के लिए ही ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की हैं, लेकिन इससे बच्चों को कोई फायदा नहीं है। उलटा अभिभावकों पर भार आ रहा है। 


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