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Municipal Corporation Election 2020: राजस्थान विधानसभा सत्र समाप्त होते ही फिर शुरू होगा चुनावी माहौल

Rajasthan Municipal Corporation Election 2020. अगले माह के मध्य तक राजस्थान में एक बार फिर आचार संहिता लग जाएगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 03:37 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 03:37 PM (IST)
Municipal Corporation Election 2020: राजस्थान विधानसभा सत्र समाप्त होते ही फिर शुरू होगा चुनावी माहौल
Municipal Corporation Election 2020: राजस्थान विधानसभा सत्र समाप्त होते ही फिर शुरू होगा चुनावी माहौल

जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Municipal Corporation Election 2020. राजस्थान में विधानसभा का सत्र समाप्त होते ही एक बार फिर चुनावी भागदौड़ शुरू हो जाएगी। राजस्थान के तीन बड़े शहरों जयपुर, जोधपुर और कोटा के छह नगर निगमों के चुनाव 18 अप्रैल तक कराए जाने हैं। ऐसे में अगले माह के मध्य तक राजस्थान में एक बार फिर आचार संहिता लग जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने स्वायत्त शासन विभाग को निर्देश दिए हैं कि 29 फरवरी तक इन निगमों में आरक्षण की लाॅटरी निकालने का काम पूरा करे।

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राजस्थान में जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगमों के चुनाव पिछले वर्ष नवंबर में हुए स्थानीय निकायों के चुनाव के साथ ही होने थे, लेकिन सरकार ने अंतिम समय में इन शहरों के नगर निगमों को दो हिस्सों में बांटने का निर्णय कर दिया। इसके चलते इन शहरों में अब एक के बजाए दो-दो निगम हो गए है। दो निगम के होने के कारण अब इन निगमों में परिसीमन की कार्रवाई भी नए सिरे से हुई है और आरक्षण की लाॅटरी भी नए सिरे से निकाली जानी है।

इन निगमों के बंटवारे के खिलाफ राजस्थान बार एसोसिएशन के महासचिव सतीश शर्मा ने राजस्थन उच्च न्यायलय में अपील की थी और मांग की थी कि निगमों के इस विभाजन को रोका जाए और चुनाव कराए जाएं। उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में विभाजन की आपत्ति को खारिज कर दिया था और 18 अप्रैल तक चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। इसी आधार पर हाल में राज्य निर्वाचन आयोग ने स्वायत्त शासन विभाग को निर्देश दिए हैं कि 29 फरवरी तक इन निगमों में आरक्षण की लाॅटरी निकालने का काम पूरा करे।

माना जा रहा है कि आरक्षण की लाॅटरी निकालने का काम पूरा होने के साथ ही चुनाव आयेाग इन निगमों में चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देगा और इन तीन शहरों में आचार संहिता लागू हो जाएगी। वैसे तो आचार संहिता का असर इन शहरों तक ही सीमित है, लेकिन चूंकि इनमें जयपुर भी शामिल है और राजधानी होने के कारण सरकार का सारा कामकाज यही से होता है। ऐसे में सरकार के निर्णय भी प्रभावित होंगे।

उधर, राजनीतिक दलों को भी एक बार फिर चुनावी भागदौड़ में जुटना होगा। विधानसभा सत्र से पहले पंचायत चुनाव चल रहे थे और सत्र समाप्त होने के साथ ही अब इन निगमों के चुनाव आ जाएंगे। प्रदेश के तीन सबसे बड़े शहरों के मतदाताओ का मूड जानने के लिहाज से यह चुनाव काफी अहम रहेंगे। 

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