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Petrol And Diesel: पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आने से हो जाएगा सस्ताः प्रताप सिंह खाचरियावास

Petrol And Diesel राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के मुताबिक अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे तो यह सस्ते हो जाएंगे। वर्तमान में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक दर में लोगों को मिल रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 06:54 PM (IST)
Petrol And Diesel: पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आने से हो जाएगा सस्ताः प्रताप सिंह खाचरियावास
राजस्थान में पेट्रोल और डीजल की फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, जयपुर। Petrol And Diesel: राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल में इस मुद्दे पर निर्णय होना चाहिए। अगर पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाए तो यह सस्ता हो जाएगा। वर्तमान में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक दर में लोगों को मिल रहा है। शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए खाचरियावास ने कहा कि देश में जीएसटी लागू करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन वन टैक्स की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हम जीएसटी लेकर आ रहे हैं। अब पेट्रोल और डीजल को इससे अलग क्यों किया गया है।

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खाचरियावास ने कहा कि केंद्र सरकार को पूंजीपतियों को चिंता छोड़कर आम नागरिकों की चिंता करनी चाहिए। वहीं, भाजपा विधायक रामलाल शर्मा ने आरोप लगाया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में कांग्रेस के ही केंद्रीय नेता नहीं चाहते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी के दायरे में आए। इस मामले में कांग्रेस पहले अपना स्टैंड तय करे, उसके बाद केंद्र सरकार के बारे में बात करे। उन्होंने कहा कि खाचरियावास राजस्थान में मंत्री हैं। उन्हें बड़बोले बयानों के लिए प्रसिद्ध माना जाता है। दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले कांग्रेस सरकार को देखना चाहिए कि उन्होंने खुद साल, 2018 से अब तक चार बार टैक्स के तौर पर पेट्रोलियम पदार्थाें के दाम बढ़ाए गए हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में पहली जुलाई से जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी और तब यह फार्मूला बना था कि अगले पांच वर्ष तक टैक्स के मद में राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई केंद्र करेगा। इसमें हर वर्ष 14 फीसद का इजाफा किया जाएगा। इसके लिए वित्त वर्ष 2015-16 को आधार वर्ष माना गया था। अगले वर्ष 30 जून को यह अवधि समाप्त हो जाएगी। इसलिए काउंसिल की बैठक में यह तय होगा कि इस फार्मूले में क्या और कैसे बदलाव किया जाए या अगले कुछ वर्षों तक यही फार्मूला बरकरार रखा जाए।


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