Potash: राजस्थान में मिले पोटाश के भंडार, कनाड़ा और जर्मनी की तर्ज पर होगा खनन
Potash in Rajasthan. राजस्थान के नागौर और बीकानेर जिलों में इसके भंडार मिले हैं। दोनों जिलों में करीब 2500 मिलियन टन पोटाश के भंडार होने की बात सामने आई है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Potash in Rajasthan. क्रूड ऑयल के बाद अब राजस्थान में पोटाश के भारी भंडार मिले हैं। देश में अब तक शतप्रतिशत पोटाश का आयात किया जाता था, लेकिन अब राजस्थान के नागौर और बीकानेर जिलों में इसके भंडार मिले हैं। दोनों जिलों में करीब 2500 मिलियन टन पोटाश के भंडार होने की बात सामने आई है। प्रदेश में पोटाश की सोल्यूशन माइनिंग की जाएगी। इस तरह की माइनिंग जर्मनी और कनाड़ा में होती है। इसके तहत करीब पांच सौ मीटर जमीन के अंदर पोटाश को बोरवेल कर पानी और सोल्यूशन के माध्यम से घुलनशील बनाया जाएगा। इसके बाद इसे निकाला जाएगा।
यहां पोटाश का खनन शुरू होने के बाद देश को अन्य देशों कम मात्रा में आयात करना होगा। पोटाश के खनन को लेकर शुक्रवार को दिल्ली के बीकानेर हाउस में राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इस बैठक में तय हुआ कि राज्य सरकार और निजी कंपनियों के साथ इस माह के अंत तक एमओयू हो जाएगा। इसके बाद अगले छह माह में निलामी होने की उम्मीद है।
दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी
डीबी गुप्ता ने "दैनिक जागरण" को बताया कि क्रूड ऑयल के बाद अब पोटाश के भंडार मिलने के बाद राजस्थान आर्थिक रूप से मजबूत होगा। इससे प्रदेश के विकास में अधिक धन खर्च किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि पोटाश खाद के रूप में किसानों के काम आता है। देश में पहली बार राजस्थान में इसका खनन होने जा रहा है। केंद्र सरकार के अधिकारियों एवं निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत हुई है। इसको लेकर अगले कुछ दिनों में तीन एमओयू किए जाएंगे। इसके बाद खनन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पोटाश खनन के बाद देश को विदेश से आयात कम करना पड़ेगा। वर्तमान में देश में पोटाश का शतप्रतिशत विदेश से आयात होता है। अब राजस्थान देश का एक मात्र पोटाश उत्पादक राज्य बनने वाला है।
राज्य खनन एवं भू विज्ञान निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक जी.एस.निर्वाण ने कहा कि पोटाश के भंडार मिलना पूरे देश के लिए बड़ी बात है। इससे अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी। उन्होंने बताया कि पोटाश की खोज लंबे समय से की जा रही थी। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने 1974 में खोज शुरू की थी। हनुमानगढ़, नागौर, श्रीगंगानगर और बीकानेर में पोटाश के भंडार की खोज की गई। लेकिन फिलहाल बीकानेर और नागौर में पोटाश के भंडारों को चिन्हित कर आगे का काम शुरू किया जा रहा है।