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उधोगों में अब लकड़ी व कोयला जलाने पर रोक, प्रदूषण नियंत्रण मंडल का गैस पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू

राजस्थान के प्रदूषित आधौगिक शहर भिवाड़ी पाली जयपुर और जोधपुर में अब उधोगों में कोयला लकड़ी बायोमास एवं फर्निश ऑयल का ईधन के रूप में उपयोग नहीं हो सकेगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 12:16 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 12:16 PM (IST)
उधोगों में अब लकड़ी व कोयला जलाने पर रोक, प्रदूषण नियंत्रण मंडल का गैस पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू
उधोगों में अब लकड़ी व कोयला जलाने पर रोक, प्रदूषण नियंत्रण मंडल का गैस पाइप लाइन बिछाने का काम शुरू

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के प्रदूषित आधौगिक शहर भिवाड़ी, पाली, जयपुर और जोधपुर में अब उधोगों में कोयला, लकड़ी, बायोमास एवं फर्निश ऑयल का ईधन के रूप में उपयोग नहीं हो सकेगा। इन सभी से वायु प्रदूषण होता है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले ईंधन पर रोक लगा दी है। अब यहां विकल्प के तौर पर गैस अथवा तरल ईंधन का उपयोग हो सकेगा।

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प्रदेश के उधोगपति और उधोग विभाग के अधिकारी अन्य विकल्पों की भी तलाश में जुटे हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्त मंत्रालय ने अति प्रदूषित औधोगिक क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

मंत्रालय के निर्देशानुसार अब आधौगिक इकाइयों में बॉयलर अथवा भट्टी भी नहीं लगाई जा सकेगी। प्रारंभिक तौर पर तो नए उधोग इसके दायरे में आएंगे,लेकिन धीरे-धीरे पुराने उधोगों पर भी यह गाइड लाइन लागू की जाएगी। एनसीआर में आने वाले प्रदेश के भिवाड़ी औधोगिक क्षेत्र में कुछ साल पहले गैस पाइप लाइन बिछाई गई थी, लेकिन फिर भी उधोगों में लकड़ी अथवा बायोमास का ही उपयोग होता रहा है।

राजस्थान के प्रदूषित आधौगिक शहर भिवाड़ी, पाली, जयपुर और जोधपुर में अब उधोगों में कोयला, लकड़ी, बायोमास एवं फर्निश ऑयल का ईधन के रूप में उपयोग नहीं हो सकेगा। इन सभी से वायु प्रदूषण होता है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले ईंधन पर रोक लगा दी है। अब यहां विकल्प के तौर पर गैस अथवा तरल ईंधन का उपयोग हो सकेगा। राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अनुसार भिवाड़ी, पाली और जयपुर के आसपास के आधोगिक क्षेत्रों में कोयले और लकड़ी से काफी प्रदूषण बढ़ रहा है।

वायु प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए पाइप्ड नेचूरल गैस (पीएनजी) को सही माना गया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के चेयरमैन पी.के.गोयल ने औधोगिक इकाईयों को पीएनजी गैस उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। आगामी कुछ दिनों में राज्य के बड़े औधोगिक क्षेत्रों में गैस की पाइन लाइन बिछाई जाएगी। 

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