राजस्थानः 15वीं विधानसभा के पहले सत्र को लेकर घमासान
Rajasthan assembly session. राजस्थान की 15वीं विधानसभा के पहले सत्र को लेकर घमासान शुरू हो गया है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान की 15वीं विधानसभा के पहले सत्र को लेकर प्रदेश में घमासान शुरू हो गया है। देश में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है, जब सरकार के शॉर्ट टर्म नोटिस पर सदन का सत्र बुलाने का निर्वतमान विधानसभा अध्यक्ष ने विरोध किया है। सरकार और विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल के बीच यह घमासान बुधवार शाम को राजभवन तक पहुंच गया। मेघवाल सरकार के शार्ट टर्म नोटिस पर सत्र बुलाने पर राज्यपाल कल्याण सिंह से मिलने पहुंचे हैं।
मेघवाल का कहना है कि नियमों में 21 दिन का नोटिस देकर ही विधानसभा सत्र बुलाने का प्रावधान है। सरकार नियमों से नहीं चलना चाहती है। मेघवाल पिछली भाजपा सरकार के दौरान अध्यक्ष बने थे और जब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक वे इस पद पर रहेंगे। उधर, शॉर्ट टर्म नोटिस पर सत्र आहूत करने पर असहमत मेघवाल के इस कदम से सरकार में हड़कंप मचा हुआ है।
अध्यक्ष बोले, आगे बढ़ाई जाए तारीख
विधानसभा अध्यक्ष मेघवाल ने राज्यपाल को संसदीय परंपराओं में सत्र बुलाने के नियमों से भी अवगत करवाया है। मेघवाल ने सत्र की तिथि आगे करने की मांग राज्यपाल के सामने रखी है। मेघवाल ने राज्यपाल के समक्ष संविधान और सदन की परंपराओं का भी हवाला दिया। मेघवाल द्वारा उठाए गए मुद्दों के बाद राज्यपाल ने कानून के जानकारों और विधि विशेषज्ञों से राय लेना शुरू किया है। उधर, भाजपा नेता और पूर्व संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने मेघवाल द्वारा उठाए गए मुद्दे को सही ठहराया है।
उन्होंने कहा कि नियमों में 21 दिन का नोटिस देकर सत्र बुलाए जाने का प्रावधान है। इससे विधायकों को तैयारी करने का समय मिलता है। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र और प्रदेश से जुड़े मुद्दों को प्रश्नकाल के माध्यम से उठाने की तैयारी करते है, लेकिन गहलोत सरकार आनन-फानन में सत्र बुलाकर विधायकों के अधिकारों का अपमान कर रही है।
सरकार हुई सक्रिय
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के किसान रैली को संबोधित कर दिल्ली लौटने के तुरंत बाद सरकार को जानकारी मिली कि मेघवाल ने शॉर्ट टर्म पर सत्र बुलाने को लेकर आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से मुलाकात की है। इस पर सीएम अशोक गहलोत ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, संसदीय मामलात विभाग एवं विधि विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत की। इस मसले को लेकर सीएम गुरुवार को राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं। संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
उल्लेखनीय है कि राज्यपाल ने 15 जनवरी से विधानसभा सत्र आहूत करने का वारंट जारी किया है। टकराव के चलते अब सवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। सामान्यतया सत्र आहूत करने की समयावधि 21 दिन की है। शॉट टर्म नोटिस पर सत्र आहूत करने के लिए सरकार को अध्यक्ष से चर्चा करनी होती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि संसदीय इतिहास में अपनी तरीके का यह पहला मामला है।