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Rajasthan: राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला फिर गरमाया

Rajya Sabha Election in Rajasthan सतीश पूनिया का कहना है कि उन्हें अभी तक न तो इस मामले में विधानसभा की ओर से कोई नोटिस मिला है और ना ही उन्हें तलब किया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 08 Jul 2020 09:15 PM (IST)Updated: Wed, 08 Jul 2020 09:15 PM (IST)
Rajasthan: राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला फिर गरमाया
Rajasthan: राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला फिर गरमाया

राज्य ब्यूरो, जयपुर। Rajya Sabha Election in Rajasthan: राज्यसभा चुनाव के करीब बीस दिन बाद राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला फिर गरमा रहा है। इस मामले में राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के एक बयान पर उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव को लेकर नोटिस दिए जाने के संकेत हैं। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता ही नहीं है। राजस्थान में 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव के मतदान से पहले विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि विधायकों को 35-35 करोड़ रुपये का लालच दिया जा रहा है।

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इस मामले में सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत तक दी गई थी। हालांकि इसका अभी तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है। वहीं, चुनाव के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भी कुछ इसी तरह का बयान देते हुए कहा था कि हमारे पास इस तरह की जानकारी है कि वोट के बदले विधायकों को जमीनें, खदानें और नकदी दी गई है। समय आने पर हम इस जानकारी का पर्दाफाश कर देंगे। इस बयान के बाद कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने पूनिया के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया। विधानसभा के अधिकृत सूत्रों का कहना है कि इस प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पूनिया को तलब किया जा सकता है या लिखित में जवाब मांगा जा सकता है। इसकी कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। ऐसे में यह मामला फिर गरमा रहा है।

नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया का कहना है कि पूनिया ने जो बयान दिया उसमें विधायकों के नाम ही नहीं थे, तो ऐसे में सवाल उठता है कि किस विधायक का विशेषाधिकार हनन हुआ और यदि किसी को कोई परेशानी थी तो वह मानहानि के लिए जा सकता था। मुख्यमंत्री ने भी विधायकों को 35 करोड़ रुपये का लालच दिए जाने का बयान दिया था। यदि वह विशेषाधिकार हनन नहीं है तो इसे भी विशेषाधिकार हनन नहीं माना जा सकता। कटारिया ने यह भी कहा कि विशेषाधिकार हनन सिर्फ विधानसभा परिसर में होता है या फिर किसी विधायक को आने से रोका जाए तो होता है। वहीं, सतीश पूनिया का कहना है कि उन्हें अभी तक न तो इस मामले में विधानसभा की ओर से कोई नोटिस मिला है और ना ही विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें तलब किया है। जब उन्हें इस बारे में अपना पक्ष रखने के लिए कहा जाएगा, तो वो नियम अनुसार अपनी बात रख देंगे। उधर, यह प्रस्ताव देने वाले निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि उन्होंने पूरी तरह से नियमों के तहत प्रस्ताव दिया है।


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