उदयपुर में पुलिस के जवान को घोड़ी चढ़ने के लिए लेनी पड़ी पुलिस की सहायता
जिले के गोगुंदा उपखंड के राव मादड़ा गांव में मंगलवार को मेघवाल समाज के एक दूल्हे की बिंदोली पुलिस सुरक्षा के बीच निकाली। उपखंड अधिकारी नीलम लखारा तथा उदयपुर से गई पुलिस उप अधीक्षक प्रेम धनदे सुरक्षा व्यवस्था पर निगाह रखे हुए थे।
उदयपुर, संवाद सूत्र। जिले के गोगुंदा उपखंड के राव मादड़ा गांव में मंगलवार को मेघवाल समाज के एक दूल्हे की बिंदोली पुलिस सुरक्षा के बीच निकाली गई। जिसमें उदयपुर, गोगुंदा तथा सायरा के दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी मौजूद थे। गोगुंदा उपखंड अधिकारी के अलावा गोगुंदा तथा उदयपुर के पुलिस उप अधीक्षक भी मौजूद थे। इस शादी में बड़ी संख्या में अधिकारी तथा पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के पीछे कारण था कि मेघवाल समाज के युवक एवं उसके परिजनों की आशंका के इस गांव में अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को घोड़ी पर चढ़ने नहीं दिया जाता।
सुरक्षा व्यवस्था पर निगाह रखे हुए थे
राजपूत बहुल जनसंख्या वाले इस गांव में हालांकि इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई कि किसी अनुसूचित जनजाति के दूल्हे को घोड़ी से उतारा गया लेकिन गोगुंदा थाने के सिपाही कमलेश मेघवाल के पुलिस सुरक्षा की मांग पर यह बंदोबस्त किया गया था। मंगलवार दोपहर कमलेश की बिंदोली निकाली गई, जिसमें उपखंड अधिकारी नीलम लखारा तथा उदयपुर से गई पुलिस उप अधीक्षक प्रेम धनदे सुरक्षा व्यवस्था पर निगाह रखे हुए थे। बिंदोली की सुरक्षा के लिए उदयपुर, गोगुंदा तथा सायरा थाने के दो दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी मौजूद थे।
अंतिम घटना साल 2019 में हुई थी
उल्लेखनीय है कि उदयपुर के गोगुंदा तथा घासा थाना क्षेत्र में अनुसूचित जाति तथा अनजाति के दूल्हों को घोड़ी से उतारे जाने की घटनाएं पूर्व में हो चुकी हैं। जिससे अनुसूचित जनजाति के लोग राजपूत बहुल गांवों में बिंदोली निकालने को लेकर शंकित रहते हैं। अंतिम घटना साल 2019 में हुई थी, जहां झालों का ठाणा गांव में एक दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारकर उसका अपमान किया गया था। इधर, रावमादड़ा के लोगों का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था देना पुलिस का काम है लेकिन इससे उनके गांव का अपमान हुआ है। राव मादड़ा में कभी भी किसी भी जाति के दूल्हे को घोड़ी से उतारना तो दूर, अपमान तक नहीं किया गया।