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राजस्थान में पैदा हुआ Plastic Baby, छह लाख बच्चों के बीच एक ऐसा बच्चा लेता है जन्म

राजस्थान में नागौर के मदर एंड चाइल्ड विंग में विश्व की दुर्लभतम बीमारियों में कोलोडियन बेबी हुआ । प्लास्टिक जैसी पर्त में हुए बच्चे को देखकर चिकित्सक भी हैरान रह गए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sun, 19 May 2019 08:18 AM (IST)Updated: Sun, 19 May 2019 01:40 PM (IST)
राजस्थान में पैदा हुआ Plastic Baby, छह लाख बच्चों के बीच एक ऐसा बच्चा लेता है जन्म
राजस्थान में पैदा हुआ Plastic Baby, छह लाख बच्चों के बीच एक ऐसा बच्चा लेता है जन्म

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में नागौर जिला मुख्यालय पर स्थित राजकीय जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के मदर एंड चाइल्ड विंग में विश्व की दुर्लभतम बीमारियों में कोलोडियन बेबी हुआ। बच्चे की हाथ और पैरों की उंगलियां परस्पर जुड़ी होने के साथ ही पूरे शरीर पर प्लास्टिक जैसी स्किन की परत चढ़ी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी छह लाख बच्चों में से एक को होती है। इसमें टरमीटोसिस होता है, जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है और इसमें धीरे-धीरे कई तरह की समस्याएं बढ़ती हैं। बच्चा फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में है।

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अमृतसर और अलवर में भी ऐसे बच्चों का जन्म हुआ था
जानकारी के अनुसार नागौर जिले के भगवानदास गांव निवासी सहदेव की पत्नी रमा ने इस बच्चे को जन्म दिया है। रमा के यह पांचवां बच्चा है, इसके पूर्व तीन बच्चों की मृत्यु हो चुकी है और चौथा जीवित है। अब यह पांचवां बच्चा पैदा हुआ तो यह दुर्लभतम जटिल बीमारी से ग्रसित पाया गया। प्लास्टिक जैसी परत में हुए बच्चे को देखकर चिकित्सक भी हैरान रह गए।

सहदेव ने बताया कि पत्नी को गॉयनिक समस्या होने पर प्रसव के लिए भर्ती कराया गया। उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि प्लास्टिक बेबी पैदा होगा। बच्चे का वजन 2.3 किलोग्राम है। अस्पताल के डॉक्टर डॉ. मूलाराम कड़ेला ने बताया कि जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण होती है और दुनियाभर में छह लाख बच्चों के जन्म पर एक ऐसा बच्चा पैदा होता है। इससे पहले अलवर में भी एक ऐसा ही बच्चा पैदा हुआ था।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 व 2017 में अमृतसर में दो कोलोडियन बच्चों का जन्म हुआ था। दुर्भाग्यवश दोनों की चंद दिनों बाद ही मौत हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि शोध के अनुसार कोलोडियन बेबी का जन्म जेनेटिक डिस्ऑर्डर की वजह से होता है, ऐसे बच्चों की त्वचा में संक्रमण होता है। कोलोडियन बेबी का जन्म क्रोमोसोम (शुक्राणुओं) में गड़बड़ी की वजह से होता है।

सामान्यत महिला और पुरुष में 23-23 क्रोमोसोम पाए जाते है, यदि दोनों के क्रोमोसोम संक्रमित हों तो पैदा होने वाला बच्चा कोलोडियन हो सकता है। इस रोग में बच्चे के पूरे शरीर पर प्लास्टिक की परत चढ़ जाती है। धीरे-धीरे यह परत फटने लगती है और असहनीय दर्द होता है और यदि संक्रमण बढ़ा तो उसका जीवन बचा पाना मुश्किल होता है।

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