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Rajasthan: ओम बिरला बोले, कानून बनाते समय चर्चा कम होना चिंता का विषय

Rajasthan ओम बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय व्यापक चर्चा होनी चाहिए जो नहीं हो रही है। कानून बनाते समय चर्चा का धीरे-धरे कम होना चिंता का विषय बन गया है। जनता की सक्रिय भागीदारी होगी तो कानून ठीक बनेंगे और लागू भी होंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 14 Nov 2021 04:45 PM (IST)
Rajasthan: ओम बिरला बोले, कानून बनाते समय चर्चा कम होना चिंता का विषय
जयपुर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला। फाइल फोटो

जयपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कानून बनाते समय व्यापक चर्चा होनी चाहिए, जो नहीं हो रही है। कानून बनाते समय चर्चा का धीरे-धरे कम होना चिंता का विषय बन गया है। जनता की सक्रिय भागीदारी होगी तो कानून ठीक बनेंगे और लागू भी होंगे। उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि कानून बनाने से पहले बहस का समय कम होता जा रहा है। कानून बनाने में विधायिका की सक्रिय भागिदारी कम होती जा रही है। यह गंभीर मुद्दा है। कानून बनाते समय संसद और विधानसभा में व्यापक चर्चा होनी चाहिए। सहमति और असहमति लोकतंत्र का व्यापक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि सवाल पूछने से सरकारें जवाबदेह बनेंगी। सदन में त्वरित मुद्दे उठाने की जरूरत है तो सरकार को भी उनका त्वरित जवाब देना चाहिए। लोकतंत्र में जनता की जितनी भागीदारी होगी, उतनी ही शासन की जवाबदारी बढ़ेगी। जिनके लिए कानून बनाए जा रहे हैं, उनकी भागीदारी बढ़ाई जानी चाहिए। बिरला रविवार को जयपुर में राजस्थान विधानसभा में बाल सत्र के उद्धाटन समारोह में संबोधित कर रहे थे।

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ओम बिरला ने कहा कि लोकतंत्र की यात्रा के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। प्रत्येक चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ना इस बात का प्रतीक है कि लोकतंत्र में लोगों की आस्था बढ़ी है। सदन में देश और प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा किए जाने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत विश्व में आदर्श लोकतंत्र की भूमिका में है। पीठासीन अधिकारियों से बाल सभा आयोजित कराने के लिए कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका है। बाल सभा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में बनने वाले मतदाओं को विधानसभा के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का हिस्सा बनाना महत्वपूर्ण बात है। इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू और स्वर्गीय इंदिरा गांधी का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि छुआछूत और जातिवाद जैसे कलंक बड़ी चुनौती है। इनको खत्म करना होगा। अहिंसा को बांधने की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ी की है, तब देश बचेगा। विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी ने कहा कि बच्चों के मन की बात सुनकर उसके हिसाब से नीतियां बनाने के बारे में सोचना होगा। बच्चों से पूछा जाना चाहिए कि वह किस तरह की सरकार चाहते हैं।

बाल दिवस पर सीएम, अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बनकर बच्चों ने चलाया सदन

बाल दिवस पर रविवार को राजस्थान विधानसभा में हुई अनूठी पहल में बच्चों ने सदन का संचालन किया। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हुए इस विशेष सत्र में 15 राज्यों के 200 बच्चे शामिल हुए। सदन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी और प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया की मौजूदगी में बच्चों ने प्रश्नकाल और शून्यकाल का संचालन किया। एक बच्ची विधानसभा अध्यक्ष बनी, वहीं एक बच्चा सीएम बना। एक बच्ची प्रतिपक्ष की नेता के रूप में सदन में बैठी। बच्चे ही मंत्री और विधायक बने। बाल सत्र के दौरान विधायक बने बच्चों ने मंत्री बने अपने साथियों से प्रश्न पूछे तो उन्होंने जवाब दिए। एक बार तो ऐसा मौका आया जब गृहमंत्री के जवाब से नाखुश होकर विरोध जताते हुए विपक्ष के विधायक सदन के बीच में आकर धरने पर बैठ गए। बाद में सीएम ने हस्तक्षेप किया तो मामला शांत हुआ और विरोध जता रहे विधायक वापस अपनी सीटों पर लौट गए। सीएम गहलोत की पौत्री काश्वनी गहलोत भी विधायक बनकर सदन में बैठी।

मंत्री और विधायक दर्शक दीर्घा में बैठे

बच्चे जब सदन चला रहे थे, तो मंत्री और विधायक दर्शक दीर्घा में बैठकर यह दृश्य देख रहे थे। बच्चों ने विधायकों की तरह जनता से जुड़े पानी, बिजली और स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछे। इन सवालों का मंत्री बने बच्चों ने आत्मविश्वास से जवाब दिया। बच्चों के परिजन भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे।


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