117 गांवों के 24 हजार परिवार बने बाघों के लिए मुसीबत, रणथंभौर सेंचूरी पर एनटीसीए व डब्ल्यूआईआई ने जताई चिंता
Situation of Ranthambore Century रणथंभौर सेंचूरी में पर्यटकों की बढ़ती हलचल बाघों के आराम में खलल पैदा कर रहा है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। रणथंभौर सेंचूरी में पर्यटकों की बढ़ती हलचल बाघों के आराम में खलल पैदा कर रहा है । सेंचूरी में बाघों के भ्रमण की जगह पर बसे 177 गांवों के 24 हजार परिवारों और बड़ी संख्या में पर्यटकों की हलचल को लेकर टाइगर रिजर्व ऑथॉरिटी (एनसीसी) और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) ने एक बार फिर चिंता जताई है।
एनटीसीए एवं डब्ल्यूआईआई ने क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच)में ग्रामीणों और पर्यटकों की आवाजाही कम करने को लेकर राज्य सरकार को सलाह दी है। पिछले पांच दिनों में क्रिसमस और नया साल मनाने रणथंभौर पहुंचे करीब दस हजार पर्यटकों ने बाघों को और अधिक परेशान कर दिया है।
राज्य के वनमंत्री सुखराम विश्नोई पर्यटकों की बढ़ती आवक से बाघों के आराम में पड़ने वाले खलल की बात को स्वीकार तो करते हैं,लेकिन इसका कोई हल नहीं होने की बात भी कहते हैं। उन्होंने कहा कि रणथंभौर में हर साल करीब 5 लाख पर्यटक आते हैं। अब कुंभलगढ़ में नया टाइगर रिजर्व बनने से यहां का भार कम होने की उम्मीद है। एनटीसीए और डब्ल्यूआईआई की रिपोर्ट के अनुसार क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट में लोगों की आवाजाही अधिक होने से बाघों का जंगल में आपसी सत्ता संघर्ष तो होता ही है,साथ ही ये ग्रामीणों पर भी हमले करते हैं। रणथंभौर में पिछले 11 माह में दो बाघों की आपसी संघर्ष में मौत हुई और तीन घायल हुए। वहीं बाघों के हमले में 6 लोगों की मौत होने के साथ ही 3 लोग घायल हुए हैं। इस सेंचूरी में 65 टाइगर है।
जंगल से नहीं हो पा रहा गांवों का विस्थापन
जंगल से गांवों को विस्थापित करने में में राज्य सरकार की ढ़िलाई के कारण यहां ग्रामीणों की जनसंख्या लगाातर बढ़ती जा रही है। रणथंभौर सेंचूरी और उसके आसपास 177 गांवों में 24 हजार परिवार रह रहे हैं। इनमें क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट में 65 गांव में 8 हजार परिवार रह रहे हैं, वहीं सेंचूरी के बिल्कुल निकट 112 गांव बसे हुए हैं, इनमें 16 हजार परिवार रह रहे हैं। प्रत्येक परिवार के पास दो या इससे अधिक पशु भी हैं।
वन विशेषज्ञों का मानना है कि सेंचूरी में बाघों की बढ़ती संख्या,इनका दूसरी जगह विस्थापन नहीं होने के कारण नर बाघों में सत्ता संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। जंगल में मानवीय हलचल के चलते बाघ जंगल के अंदर और बाहर आकर ग्रामीणों पर हमल कर रहे हैं। रोक के बावजूद ग्रामीणों का पशुओं को चराने लगातार जंगल में जाना और चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियां तलाशना बंद नहीं हो पा रहा है।
एक साल में बाघ के हमले से 6 लोगों की मौत
सेंचूरी के अंदर और बाहर सीमा पर बसे गांवों में बाघों के हमले से 11 माह में 6 लोगों की मौत हुई है । इनमें 2 फरवरी को मुन्नी देवी,30 जून को रामकेश, 3 जुलाई को रूपसिंह गुर्जर,12 सितंबर को पिंटू माली,21 सितंबर को चिरंजी लाल और 7 अक्टूबर को नीरज की मौत बाघ के हमले से हुई । इस दौरान 3 लोग घायल हुए । बाघों के आपसी संघर्ष में 30 जनवरी और 29 सितंबर को एक-एक बाघ की मौत हुई। इसके साथ ही 16 मार्च को दो एवं 3 अप्रैल को एक बाघ घायल हुए।
उल्लेखनीय है कि करीब तीन माह पूर्व एनटीसीए और डब्ल्यूआईआई ने अपनी रिपोर्ट में रणथंभौर के हालात पर चिंता जताई थी,अब पिछले सप्ताह एक बार फिर हालात सुधारने की जरूरत बताई है।