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राजस्थान में अब बाजरे को लेकर राजनीति, गहलोत सरकार ने केंद्र को नहीं भेजा, एमएसपी पर खरीद व भावांतर योजना का प्रस्ताव

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार केंद्र सरकार को बाजरे की एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव नहीं भेजा गया। प्रतिवर्ष राज्य सरकार जिन जिंसों की खरीद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजती है। केंद्र सरकार किसानों का हित देखते हुए एमएसपी तय की जाती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 12:08 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 12:08 PM (IST)
राजस्थान में अब बाजरे को लेकर राजनीति, गहलोत सरकार ने केंद्र को नहीं भेजा, एमएसपी पर खरीद व भावांतर योजना का प्रस्ताव
हरियाणा सरकार ने राजस्थान के किसानों का बाजरा खरीदने से इनकार कर दिया है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। हरियाणा सरकार ने राजस्थान के किसानों का बाजरा खरीदने से इनकार कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर राजस्थान के कृषमंत्री लालचंद कटारिया ने हरियाणा सरकार को किसान विरोधी बताया है। कटारिया का कहना है कि किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों एक-दूसरे को घेर रही है। लेकिन इसी बीच एक नई जानकारी सामने आई है कि राजस्थान सरकार ने न्यूनतम मूल्य पर बाजरा खरीद का प्रस्ताव अब तक केंद्र सरकार को भेजा ही नहीं है ।

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कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार केंद्र सरकार को बाजरे की एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव नहीं भेजा गया। प्रतिवर्ष राज्य सरकार जिन जिंसों की खरीद का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजती है। केंद्र सरकार उसे वैसे की वैसे तो अनुमति नहीं देता, लेकिन किसानों का हित देखते हुए एमएसपी तय की जाती है। केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही जिंस की सरकारी खरीद की जाती है। बाजरा पीडीएस सिस्टम में शामिल नहीं है और खराब भी जल्द हो जाता है ।

इस कारण किसान चाहते हैं कि एमएसपी पर खरीद होनी चाहिए। हरियाणा सरकार ने किसानों को भावांतर योजना के तहत बाजरे पर एमएसपी का भाव देने का निर्णय लिया है,वहीं राजस्थान में अब तक ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ। भावांतर योजना के तहत एमएसपी से कम दामों पर किसान की उपज बिकने पर अंतर की राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। किसान नेताओं का कहना है कि भावांतर योजना के तहत राशि केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है,लेकिन राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर पर भी दे सकती है। इस मामले में किसान नेता रामपाल जाट का कहना है कि केंद्र सरकार इसमें भाजपा और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों के बीच भेदभाव कर रही है। हरियाण में तो केंद्र सरकार द्वारा भावांतर राशि दी जा रही है। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हो रहा।

उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार अपनी तरफ से किसानों को बाजरे का ज्यादा भाव नहीं दे रही, बल्कि उसकी भरपाई केंद्र सरकार कर रही है। जाट का कहना है कि इस संबंध में राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने भी कोई खास प्रयास नहीं किए। गहलोत सरकार ने तो केंद्र को भावांतर योजना के तहत किसानों की भरपाई का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है और ना ही एमएसपी पर खरीद का प्रस्ताव भेजा गया है। 


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