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हंसा, रोया और जेल का ही खाना खाकर सोया आसाराम

आसाराम का जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी के रूप में पहला दिन काफी बदला-बदला सा रहा। वह हंसा, रोया और एक समय ऐसा भी आया जब जेल का ही नाश्ता कर सो गया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 26 Apr 2018 04:55 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 11:43 AM (IST)
हंसा, रोया और जेल का ही खाना खाकर सोया आसाराम
हंसा, रोया और जेल का ही खाना खाकर सोया आसाराम

जयपुर, ब्यूरो। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद आसाराम का जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी के रूप में पहला दिन काफी बदला-बदला सा रहा। वह हंसा, रोया और एक समय ऐसा भी आया जब जेल का ही नाश्ता कर सो गया।

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जेल में रहते हुए पिछले 56 माह से अपनी दिनचर्या खुद तय करने वाले आसाराम को गुरुवार से जेल नियमों का पालन करना पड़ा। आसाराम को जेल के वार्ड नंबर दो की बैरक नंबर एक में रखा गया है। जेल रिकॉर्ड में आसाराम अब कैदी नंबर-130 हो गया। सुबह कैदियों की हाजिरी हुई तो जेलकर्मी ने जैसे ही कैदी नंबर 130 पुकारा, वैसे ही आसाराम ने हाथ खड़ा किया और फिर बोला-हरे राम। जेल में लगी घंटी बजते ही अन्य कैदियों की तरह सूर्योदय से पहले ही आसाराम को भी उठा दिया गया। नित्य क्रिया से निवृत होने के बाद आसाराम ने करीब 15 मिनट तक योग किया। अन्य कैदियों की तरह सुबह नाश्ते में भीगी मूंग व मूंगफली के साथ गु़ड़ खाया। उसको स्टील के ग्लास में चाय दी गई।

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार आसाराम ने सुबह उठने के बाद नित्य क्रियाकर्म किया और नाश्ता करने के बाद जप शुरूकर दिया। करीब एक घंटे तक वह हाथ में माला लेकर बैठा रहा और बीच-बीच में जय श्री राम, 'होई है वही जो राम रचि राखा' बोलता रहा। इसके बाद थो़ड़ी देर अपनी बैरक में ही टहला फिर दरी के ऊपर कंबल बिछाकर सो गया। दोपहर को भोजन में जेल नियमों के अनुसार दाल और रोटी दी गई, लेकिन उसने पहले तो खाने से मना किया, मगर थोड़ा खाना खाया।

पल-पल बदला आसाराम का अंदाज
जेल कर्मियों के अनुसार, आसाराम कभी असहज नजर आता है तो कभी अपने हाथों को फैलाकर हंसने लगता। शाम को आसाराम सिर पर हाथ रखकर जोर-जोर से रोने लगा और फिर थोड़ी ही देर बाद शांत हो गया।

राम-नाम का जप करती रही शिल्पी
महिला जेल में बंद शिल्पी ने सुबह अन्य महिला कैदियों की तरह दिनचर्या शुरू की और दिनभर साथी कैदियों से बातचीत करती रही। बीच-बीच में वह राम-नाम का जप करती रही। जेल प्रशासन ने शिल्पी को कैदी नंबर-76 नाम दिया है। शिल्पी को 20 साल की सजा हुई है।

शरद ने पढ़ी हनुमान चालीसा
आसाराम के सेवक रहे शरद की 20 साल की सजा का पहला दिन गुरुवार से शुरू हुआ तो वह सुबह से ही परेशान नजर आया। शरद ने कुछ देर हनुमान चालीसा का पाठ किया। जेल में उसकी पहचान अब कैदी नंबर 129 है।

डीआईजी जेल विक्रम सिंह बोले-आसाराम पूरी तरह स्वस्थ
जोधपुर के डीआइजी जेल विक्रम सिह ने बताया कि जो व्यवहार सजायाफ्ता कैदियों के साथ होता है, वही आसाराम के साथ किया जा रहा है। आसाराम पूरी तरह से स्वस्थ है।

जमानत याचिका पर काम शुरू
इस बीच, आसाराम की जमानत याचिका पर उसके वकीलों ने काम शुरू कर दिया है। यह याचिका शुक्रवार या सोमवार को हाई कोर्ट में दायर की जा सकती है।

आसाराम मानता था-ब्रह्मज्ञानी के लिए दुष्कर्म पाप नहीं
आसाराम मानता था कि उसके जैसे ब्रह्मज्ञानी के लिए लड़कियों का यौन शोषण करना पाप नहीं है। मामले में एक गवाह ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात कही थी। अभियोजन पक्ष के गवाह राहुल के. सचार ने कोर्ट में बताया था कि उसने आसाराम को पुष्कर (राजस्थान), भिवानी (हरियाणा) और अहमदाबाद (गुजरात) में वर्ष 2003 में लड़कियों का यौन शोषण करते देखा था। राहुल आसाराम का करीबी भक्त था और उसका आसाराम की कुटिया में आना-जाना था। राहुल ने बताया कि उसने जब आसाराम से इसका विरोध किया तो उसने कहा-ब्रह्मज्ञानी को ये सब करने से पाप नहीं लगता।' राहुल ने यह भी बताया कि आसाराम यौन शक्ति बढ़ाने के लिए दवाइयों का सहारा लेता था।
 


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