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    Rajasthan: अमित शाह की अध्यक्षता में जयपुर में होगी उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक, उठेगा ये मुद्दा

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sun, 26 Jun 2022 05:54 PM (IST)

    Rajasthan केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में जयपुर में नौ जुलाई को होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की एक दिवसीय बैठक के दौरान राजस्थान के मु ...और पढ़ें

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    अमित शाह की अध्यक्षता में जयपुर में होगी उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, जयपुर। उत्तर क्षेत्रीय परिषद की एक दिवसीय बैठक नौ जुलाई को राजस्थान में जयपुर के रामबाग पैलेस होटल में होगी। परिषद की 30वीं बैठक में भाखड़ा-व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान का सदस्य होने का मुद्दा प्रमुखता से उठेगा। राजस्थान में ढाई दशक बाद होने जा रही इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए केंद्र सरकार ने सात मुद्दों पर चर्चा करने की बात कही है। इसमें ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट का मुद्दा सम्मिलित नहीं है। इसके बावजूद अनौपचारिक रूप से यह मामला उठाया जा सकता है।

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    केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और जलदाय मंत्री डा. महेश जोशी मौजूद रहेंगे। बैठक में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के साथ ही दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ और लद्दाख के उपराज्यपाल सम्मिलित होंगे। राजस्थान के जल संसाधन मंत्री ने कहा कि पानी में राजस्थान की हिस्सेदारी के बावजूद सदस्य नहीं होने से प्रदेश उसके हिस्से के पर्याप्त पानी की पैरवी नहीं कर पाया है। ऐसे में भाखड़ा-व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान को सदस्य बनाए जाने का मुद्दा मजबूती से उठाया जाएगा।

    उन्होंने बताया कि बैठक में भाखड़ा के साथ ही पोंग डैम के जलाशय का पूरा भरना सुनिश्चित करना भी मुख्य विषय रहेगा। हाल ही में केंद्र सरकार ने बोर्ड में तकनीकी दक्षता वाले सदस्य सम्मिलित करने का संशोधन प्रस्तावित किया है। नौ जुलाई को होने वाली बैठक में ऐसे सदस्यता के मनोनयन को लेकर निर्णय होगा।

    गौरतलब है कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के अंतर्गत एक नवंबर, 1966 को हरियाणा अलग राज्य बना, किंतु उत्तराधिकारी राज्यों (पंजाब व हरियाणा) के बीच पानी का बंटवारा नहीं हुआ। विवाद खत्म करने के लिए केंद्र ने अधिसूचना जारी करके हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी एसवाइएल नहर बनाने का निर्णय हुआ था। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण वर्षों पूर्व पूरा कर दिया था, लेकिन पंजाब से अब तक विवाद चला आ रहा है।