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Solar Panel: उत्तर-पश्चिम रेलवे ने बिछाया सोलर पैनल का जाल, बचाया बिजली खर्च

North Western Railway उत्तर-पश्चिम रेलवे अब तक अपने जोन में 6973 किलोवाट के सोलर पैनल का जाल बिछा चुका है। ये मुहिम लगातार जारी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 03:54 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 03:59 PM (IST)
Solar Panel: उत्तर-पश्चिम रेलवे ने बिछाया सोलर पैनल का जाल, बचाया बिजली खर्च

जागरण संवाददाता, जयपुर। North Western Railway: उत्तर-पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) सोलर पैनल का जाल बिछाकर करोड़ों रुपये का बिजली खर्च बचा रहा है। एनडब्ल्यूआर रेलवे अब तक अपने जोन में 6973 किलोवाट के सोलर पैनल का जाल बिछा चुका है। ये मुहिम लगातार जारी है। एनडब्ल्यूआर का लक्ष्य है कि आगामी समय में सभी रेलवे स्टेशनों को सोलर पैनल से चलाया जाए। पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिए उत्तर-पश्चिम रेलवे 7973 किलोवाट की बजट कर रहा है। ऊर्जा संरक्षण के साथ पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए रेलवे भी लगातार सकारात्मक कदम उठा रहा है। इसमें परंपरागत संसाधनों के स्थान पर पर्यावरण अनुकूल माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है।

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रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी अभय शर्मा के अनुसार रेलवे अपने प्रयासों को गति प्रदान कर स्वच्छ पर्यावरण की मुहिम को बढ़ाने के साथ ही राजस्व की भी बचत कर रहा है। इस जोन में पिछले कुछ समय से सौर ऊर्जा पर काफी काम किया गया है। इसी कड़ी में नए पैनल लगाए जा चुके हैं। जयपुर और अजमेर रेलवे स्टेशनों पर 500-500 किलोवाट के पैनल लगाए गए हैं। वहीं, जोधपुर रेलवे स्टेशन पर 770 किलोवाट का उच्च सौलर पैनल स्थापित किया गया है। जोधपुर में ही मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय पर 230 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है। भगत की कोठी, उदयपुर व मारवाड़ जंक्शन रेलवे स्टेशनों पर भी करीब 800 किलोवाट का सोलर पैनल लगाया गया है।

गौरतलब है कि भारत ने हाल के दिनों में घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने व आयात पर निर्भरता कम करने के लिए चीन से आने वाली वस्तुओं की गुणवत्ता जांच के मानकों को सख्त किया है और कई वस्तुओं पर आयात शुल्क भी बढ़ाया है। बिजली मंत्री आरके सिंह ने बताया कि नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पहली अप्रैल से कुछ सौर ऊर्जा उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने अगस्त से सोलर मॉड्यूल पर 25 फीसद सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है। अप्रैल, 2022 तक इसे 40 फीसद किया जा सकता है। सौर सेल और सौर इंवर्टर पर भी सीमा शुल्क का प्रस्ताव है। भारत में आने वाले सोलर मॉड्यूल में 80 फीसद हिस्सेदारी चीन की है।


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