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राजस्थान के अधिकांश बांध सूखे: घटता पानी, बढ़ती प्यास, 284 में से 215 बांध हुए खाली

भीषण गर्मी में भंयकर पेयजल सकंट से जूझ रहे राजस्थान के अधिकतर बांध सूखने के कगार पर पहुंच गए है। जिन बांधों में थोड़ा बहुत पानी है उनका जल स्तर भी तेजी से गिर रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 04:13 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 04:13 PM (IST)
राजस्थान के अधिकांश बांध सूखे: घटता पानी, बढ़ती प्यास, 284 में से 215 बांध हुए खाली
राजस्थान के अधिकांश बांध सूखे: घटता पानी, बढ़ती प्यास, 284 में से 215 बांध हुए खाली

जयपुर, जागरण संवाददाता। भीषण गर्मी में भंयकर पेयजल सकंट से जूझ रहे राजस्थान के अधिकतर बांध सूखने के कगार पर पहुंच गए है। जिन बांधों में थोड़ा बहुत पानी है उनका जल स्तर भी तेजी से गिर रहा है। बांधों में बमुश्किल जून के अंत तक का कामचलाऊ पानी बचा है। प्रदेश के एक चौथाई जिलों में जलसंकट की स्थिति भयावह है। यहां तक की झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध उदयपुर शहर के साथ साथ भीण्डर, कानौद, खेरवाड़ा और ऋषभदेव इलाकों में पानी का संकट मंडरा रहा है। हालात यह हैं कि प्रदेश के कई कस्बों में तीन से पांच दिन में एक बार पेयजल की आपूर्ति की जा रही है ।

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284 बांधों में से 215 बांध लगभग सूखे

बांधों की अगर बात करें प्रदेश के छोटे-बड़े 284 बांधों में से 215 बांध लगभग सूख चुके है। प्रदेश में 22 बड़े और 262 बांध छोटे है। बड़े बांधों में से 9 सूख चुके है। शेष बांधों में भी सीमित मात्रा में पानी बचा है। पिछले साल हुई सामान्य बारिश के कारण बांधों में कुल भराव क्षमता के मुकाबले केवल 60 फीसदी पानी ही आया था। इनमें जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध में महज 11 फीसदी पानी बचा है।

इस बांध की सांसें मार्च माह में ही उखड़ने लग गई थी। 315.50 आर.एल भराव क्षमता वाले इस बांध में 15 मार्च के आसपास ही महज 17 फीसदी पानी बचा था, हालांकि जयपुर में पानी सप्लाई के मांग को देखते हुए उसी समय इससे कृषि के लिए पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी। इसके साथ ही जयपुर व अजमेर जिले को छोड़कर अन्य जिलों में पेयजल सप्लाई भी लगभग बंद कर दी गई थी। लेकिन अब हालात जयपुर में भी गंभीर होने लग गए है। अन्य बड़े बांधों की बात करें तो केवल चंबल नदी पर बने कोटा बैराज और जवाहर सागर बांध अच्छी स्थिति में है। इनके अलावा राजसमंद बांध में 18 फीसदी, धौलपुर के पार्वती बांध में 16, पाली के जवाई बांध में 14 और बूंदी के गुढ़ा डेम में 11.50 फीसदी पानी ही बचा है।

कभी भीलवाड़ा की लाइफ लाइन रहा मेजा बांध भी सूख चुका है। अब अगर समय रहते बारिश नहीं हुई तो प्रदेश में जलसंकट और गहरा सकता है। जलदाय विभाग प्रदेशभर के 43,289 गांवों में से 43,039 में पानी सप्लाई कर इन गांवों की 99 फीसदी ग्रामीण आबादी को पानी आपूर्ति का दावा कर रहा है।

9 जिले सूखाग्रस्त

प्रदेश के बाड़मेर,जैसलमेर,नागौर,जोधपुर,बीकानेर,हनुमानगढ़,चूरू,पाली और जालौर जिले सूखाग्रस्त घोषित किए जा चुके है। इन जिलों में आगामी दिनों में पानी का संकट और अधिक गहराने की उम्मीद है।  

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