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दोनों हाथों से दिव्यांग मोहिनी ने बनाई लाइव पेंटिंग-ट्रेन एक्सीडेंट में बचपन में ही कट गए थे हाथ

होटल डिग्गी पैलेस में जेएलएफ के दौरान 23 साल की मोहिनी दोनों हाथों से दिव्यांग होते हुए भी पांच दिन तक लाइव पेंटिंग्स बनाती नजर आई।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 12:50 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 12:50 PM (IST)
दोनों हाथों से दिव्यांग मोहिनी ने बनाई लाइव पेंटिंग-ट्रेन एक्सीडेंट में बचपन में ही कट गए थे हाथ
दोनों हाथों से दिव्यांग मोहिनी ने बनाई लाइव पेंटिंग-ट्रेन एक्सीडेंट में बचपन में ही कट गए थे हाथ

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर मुश्किल काम भी आसानी से हो जाता है। ऐसा ही नजारा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में देखने को मिला। होटल डिग्गी पैलेस में जेएलएफ के दौरान 23 साल की मोहिनी दोनों हाथों से दिव्यांग होते हुए भी पांच दिन तक लाइव पेंटिंग्स बनाती नजर आई। मोहिनी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से बता दिया कि उसने जीवन से हार नहीं मानी है।

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महाराष्ट्र के नागपुर निवासी 23 साल की नागपुर निवासी मोहिनी के एक ट्रेन एक्सीडेंट में बचपन में ही दोनों हाथ कोहनी तक कट गए थे। लेकिन इसके बावजूद मोहिनी ने हार नहीं मानी और स्कूली शिक्षा ग्रहण करने के बाद बीटेक किया। मोहिनी अब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाने की तैयारी कर रही है। उसे पूरा विश्वास है कि अपनी मेहनत के बल पर वह आईएएस अवश्य बनेगी। मोहिनी अपनी जरूरतें खुद पूरी करती है, इसके लिए वे पेंटिंग बनाती है। मोहिनी ने बताया लिटरेचर फेस्टिवल में यहां उसने एक स्टॉल लगाई गई। यहां पांच दिन तक उसने लाइव पेंटिंग बनाकर पैसा कमाया। इस पैसे का उपयोग पढ़ाई के लिए करेगी।

बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया

जेएलएफ में आई मोहिनी की मां ने बताया एक्सीडेंट के बाद बेटी को देखकर दुख तो बहुत हुआ, लेकिन हम लाचार और बेबस थे। इलाज का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। हम कुछ कर नहीं सकते थे। मोहिनी को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके चलते मोहिनी बचपन से ही अपने सभी काम खुद करने लगी,वह अब आत्मनिर्भर है।

मोहिनी के साथ आए एक अन्य परिजन ने बताया कि शुरू में तो मोहिनी को परेशानी हुई, लेकिन अब धीरे-धीरे सबकुछ उसने आदत में डाल लिया। वह अपना जीवन अपने ढंग से जी रही है। मोहिनी की मां ने कहा कि किसी को भी जीवन में हार नहीं माननी चाहिए, उनकी बेटी इसकी मिसाल है। समाज को ऐसे लोगों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, जिससे दिव्यांग बच्चों का भविष्य संवर सके। 


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