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मेघवाल ने राज्यपाल को घेरा, कहा- वे 70 साल की परंपरा को तोड़ रहे है

15वीं राजस्थान विधानसभा के सत्र को लेकर कैलाश मेघवाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच विवाद गहराता जा रहा है। मेघवाल ने अब राज्यपाल कल्याण सिंह के फैसले को ही चुनौती दे दी है ।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 01:03 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 01:03 PM (IST)
मेघवाल ने राज्यपाल को घेरा, कहा- वे 70 साल की परंपरा को तोड़ रहे है
मेघवाल ने राज्यपाल को घेरा, कहा- वे 70 साल की परंपरा को तोड़ रहे है

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। 15वीं राजस्थान विधानसभा के सत्र को लेकर अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और अशोक गहलोत सरकार के बीच विवाद गहराता जा रहा है । मेघवाल ने अब राज्यपाल कल्याण सिंह के फैसले को ही चुनौती दे दी है । मेघवाल ने कहा कि सरकार ने मेरी सलाह के बिना विधानसभा सत्र तय कर लिया और राज्यपाल ने इसे मंजूरी दे दी,जो गलत है।

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राज्यपाल पर निशाना साधते हुए मेघवाल ने कहा कि वे खुद सैंवधानिक पद पर बैठे हुए है,फिर भी विधानसभा अध्यक्ष के सैंवधानिक पद की मर्यादा को खत्म करने का काम कर रहे है । मेघवाल ने कहा कि राज्यपाल ने सत्र बुलाने के मामले को व्यक्तिग प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया,ऐसा नहीं होना चाहिए । उन्होंने कहा कि जब मैने गलत ढंग से बुलाए जा रहे विधानसभा सत्र का साक्षी बनने से इंकार कर दिया तो राज्यपाल ने सचिव को बुलाकर दबाव में सत्र बुलाने की अधिसूचना जारी करवाई । राज्यपाल ने विधानसभा सचिव को नौकरी से निकालने की धमकी भी दी,अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में सचिव ने सत्र बुलाने की अधिसूचना जारी की है । राज्यपाल 70 साल की परंपरा को तोड़ रहे है ।

मंगलवार से शुरू होगा विधानसभा सत्र

एक बातचीत में मेघवाल ने कहा कि मंगलवार से प्रारम्भ होने जा रहे विधानसभा के सत्र की अधिसूचना पर मैने हस्ताक्षर नहीं किए है । मै इस गलत काम का साक्षी नहीं बन सकता । उन्होंने कहा कि सदन का सत्र 21 दिन की सूचना पर ही बुलाया जा सकता है,यदि सत्र जल्दी बुलाना हो तो सरकार पहले अध्यक्ष को विश्वास में लेकर आग्रह करती है । अध्यक्ष की सहमति से ही सत्र कम समय की सूचना पर बुलाया जा सकता है । उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 15 जनवरी से सत्र बुलाने को लेकर अध्यक्ष से बिना चर्चा किए सीधे ही राज्यपाल मंजूरी दिलवा दी । इस बारे में जानकारी मिलते ही मेघवाल राज्यपाल से मिले और अपनी आपत्ति जताई कि अध्यक्ष को दरकिनार कर सत्र कम समय में नहीं बुलाया जा सकता है । उन्होंने यह भी कहा कि 21 दिन पूर्व सूचना देने के बाद ही सत्र बुलाया जा सकता है । इस पर राज्यपाल ने विधि एवं संसदीय मामलों के विशेषज्ञों से सलाह ली । इसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा सचिव को बुलाकर सत्र बुलाने की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए । उधर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि मेघवाल गलत मुद्दे पर अड़े हुए है,पहले भी कम समय की सूचना पर सत्र बुलाए जाते रहे है।

अध्यक्ष और राज्यपाल दोनों ही भाजपा के बड़े नेता,फिलहाल सैंवधानिक पद पर

राज्यपाल कल्याण सिंह और विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल दोनों ही भाजपा के पुराने नेता है । हालांकि वर्तमान में दोनों ही सैंवधानिक पदों पर बैठे हुए है । कल्याण सिंह यूपी के पूर्व सीएम रहने के साथ ही भाजपा संगठन में कई पदों पर रहे है । वहीं मेघवाल भाजपा के टिकट पर सांसद,विधायक एवं पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री रहे है । फिलहाल वे विधानसभा अध्यक्ष है । नया अध्यक्ष बनने तक वे इस पद पर रहेंगे ।  


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