Rajasthan: उदयपुर में जयसमंद झील के पास प्यासे हैं दर्जनों गांव
Jaisamand Lake In Udaipur. जयसमंद झील आधे उदयपुर की प्यास बुझाता है लेकिन उसके आसपास बसे गांवों के निवासी पेयजल के लिए परेशान हैं।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। Jaisamand Lake. पानी के पास फिर भी प्यासे। यकीन नहीं होता, लेकिन यह सच है। एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की झील जयसमंद के समीप एक दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं, जो अब भी प्यासे हैं। जयसमंद झील जो पैंसठ किलोमीटर दूर आधे उदयपुर की प्यास बुझाता है, लेकिन उसके आसपास बसे गांवों के निवासी पेयजल के लिए परेशान हैं।
जयसमंद के प्यासे गांवों में झील के निकटवर्ती अजबरा, अदवास, मैथुड़ी, नईझर, बगुरवा, सेमाल, जावद सहित एक दर्जन से अधिक गांव शामिल हैं। इन सभी की दूरी झील से पांच से छह किलोमीटर है, लेकिन यहां के ग्रामीणों की सुध आज तक नहीं ली गई। इसके विपरीत यहां से लगभग 65 किलोमीटर दूर उदयपुर शहर स्थित है, जिसकी आधी आबादी की प्यास यही झील बुझाती आ रही है।
हैंडपंपों का पानी पीने लायक नहीं
ग्रामीण शिवराज मीणा बताते हैं कि जयसमंद झील के आसपास के जो गांव पेयजल के लिए तरस रहे हैं, उनमें हैंडपंप लगे हैं। इनमें से ज्यादातर का पानी पीने योग्य नहीं है। नब्बे फीसद से अधिक हैंडपंप पर लाल निशान लगा दिए गए हैं, ताकि लोग उसे पीने के उपयोग में नहीं लें, लेकिन यही पानी ग्रामीणों और उनके मवेशियों के पीने के काम आ रहा है।
215 करोड़ रुपये की योजना पर काम नहीं हुआ शुरू
जयसमंद के समीपवर्ती दो दर्जन से अधिक गांवों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पिछली सरकार ने 215 करोड़ रुपये की योजना जारी की थी। इसके तहत चयनित गांवों में जयसमंद से पानी की पाइप लाइन डाली जानी थी। इसके बाद इन सभी गांवों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो पाता, लेकिन यह योजना अभी तक साकार रूप नहीं ले पाई।
इधर, सराड़ा विधायक अर्जुनलाल मीणा का कहना है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में इन गांवों के लिए पेयजल योजना पास कराई थी, लेकिन सत्ता बदलने के साथ ही इस योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया। हालांकि उन्होंने यह मुद्दा विधानसभा में भी उठाया था। उन्होंने बताया कि साल 2020 के मध्य तक इन गांवों को जयसमंद झील का पानी मिलना था।