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Rajasthan: हाई कोर्ट के आदेश पर लक्ष्मी विलास पैलेस होटल पर द ललित समूह का फिर कब्जा

Rajasthan लक्ष्मी विलास पैलेस होटल में कर्मचारी रहे अंबालाल नायक का कहना है कि हाई कोर्ट ने भले ही द ललित समूह को दोबारा होटल कब्जे में लिए जाने के आदेश जारी कर दिए हों लेकिन मेरी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। मुझे निराशा नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 02:33 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 02:33 PM (IST)
Rajasthan: हाई कोर्ट के आदेश पर लक्ष्मी विलास पैलेस होटल पर द ललित समूह का फिर कब्जा
राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर लक्ष्मी विलास पैलेस होटल पर द ललित समूह का कब्जा।

संवाद सूत्र, उदयपुर। Rajasthan: राजस्थान हाई कोर्ट का आदेश मिलते ही छह दिन बाद बुधवार देर शाम लक्ष्मी विलास पैलेस होटल द ललित समूह को सौंप दिया गया है। इसके साथ ही यहां लगाए गए सरकारी अधिगृहण के बोर्ड हटा लिए गए। होटल की संपत्ति का ब्योरा तैयार कर रही प्रशासनिक टीम भी लौट गई है। इससे पहले सीबीआइ कोर्ट के आदेश पर नियुक्त रिसीवर उदयपुर जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा पहुंचे और द ललित समूह के अधिकारियों को होटल का कब्जा दिया। देवड़ा ने बताया कि बुधवार देर शाम उन्हें हाई कोर्ट का आदेश मिला। सीबीआइ कोर्ट के आदेश पर उन्होंने होटल सरकारी कब्जे में लिया था और अब हाई कोर्ट के आदेश पर दोबारा द ललित समूह के हवाले कर दिया है।

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इसी के साथ होटल की चल-अचल संपत्ति का ब्योरा तैयार करने का काम भी रोक दिया गया है। उधर, इस मामले में अठारह साल से लड़ाई लड़ रहे अंबालाल नायक का कहना है कि सीबीआइ कोर्ट ने जिला कलेक्टर को होटल संचालन के लिए कहा ही नहीं था। उन्हें सरकारी कब्जे में लेने को कहा था और रिसीवर नियुक्त किया था।

लड़ाई जारी रहेगी, निराश नहीं

लक्ष्मी विलास पैलेस होटल में कर्मचारी रहे अंबालाल नायक का कहना है कि हाई कोर्ट ने भले ही द ललित समूह को दोबारा होटल कब्जे में लिए जाने के आदेश जारी कर दिए हों, लेकिन मेरी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। मुझे निराशा नहीं है। मेरी लड़ाई जारी रहेगी। हाई कोर्ट में अभी इस होटल की भूमि का केस लंबित है। होटल की भूसंपत्ति राज्य सरकार की है और केंद्र सरकार द्वारा इसका विनिवेश अवैध साबित होगा।

इधर, उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को औने-पौने दामों में बेचकर केंद्र सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने के मामले में सीबीआइ कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी को भी राजस्थान हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। जस्टिस दिनेश मेहता ने पूर्व मंत्री के विरुद्ध जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी है। मामले में एक अन्य दोषी कांतिलाल कर्मसे को भी हाई कोर्ट से राहत मिली है। हाई कोर्ट ने दोनों को सीबीआइ कोर्ट, जोधपुर के समक्ष पेश होने और निजी के साथ जमानती मुचलके पेश करने को कहा है। इसके साथ ही दोनों को हाई कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाने का निर्देश दिया है। मामले से जुड़े तीन दोषियों को एक दिन पहले ही हाई कोर्ट से राहत मिली थी।

सीबीआइ कोर्ट ने 18 साल पहले हुए लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश में केंद्र सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में गत 15 सितंबर को पूर्व विनिवेश मंत्री अरुण शौरी, विनिवेश मंत्रालय के तत्कालीन सचिव प्रदीप बैजल, लजार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली के तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष गुहा, मैसर्स कांतिलाल कर्मसे कंपनी, मुंबई के कांतिलाल कर्मसे व भारत होटल लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना शूरी को दोषी माना था। सीबीआइ कोर्ट ने इनके खिलाफ फौजदारी प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। सीबीआइ कोर्ट के आदेश को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।


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