Move to Jagran APP

Rajasthan: कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज, कलाकारों ने बांधा समां, सैलानी भी झूमे

kumbhalgarh festival 2019. तीन दिवसीय कुंभलगढ़ महोत्सव के पहले दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए जिनका लुत्फ सैलानियों एवं स्थानीय नागरिकों ने जमकर उठाया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 06:22 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 06:51 PM (IST)
Rajasthan: कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज, कलाकारों ने बांधा समां, सैलानी भी झूमे
Rajasthan: कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज, कलाकारों ने बांधा समां, सैलानी भी झूमे

उदयपुर, जेएनएन। kumbhalgarh festival 2019. ऐतिहासिक कुंभलगढ़ दुर्ग पर रविवार को कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में समां बांध दिया। मौका था कुंभलगढ़ महोत्सव का, जिसकी शुरुआत रविवार से हुई। तीन दिवसीय कुंभलगढ़ महोत्सव के पहले दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनका लुत्फ सैलानियों एवं स्थानीय नागरिकों ने जमकर उठाया।

loksabha election banner

कुंभलगढ़ महोत्सव के पहले दिन बारां से आए कलाकर दल ने चकरी नृत्य व सहरिया नृत्य, जोधपुर के दल ने नगाड़ा, जयपुर के दल ने कच्छी घोड़ी, जैसलमेर के दल द्वारा लंगा, चुरू के दल द्वारा चंग की थाप पर साहसिक

नृत्य की प्रस्तुति दी। इसी तरह बाड़मेर के कलाकारों द्वारा लाल गैर नृत्य, जयपुर से आए बहुरूपिए कलाकारों की प्रस्तुति भी बेहद रोमांचकारी रही। जोधपुर के कालबेलिया नृत्य, कुम्भलगढ़ के बनकिया, खेरवाड़ा के गैर

नृत्य, बाड़मेर के घूमर नृत्य, समीचा की तैराताली पार्टी की प्रस्तुतियों ने वहां मौजूद देशी तथा विदेशी पर्यटकों को इतना मंत्रमुग्ध कर दिया कि वह अपने-आप को रोक नहीं पाये और कलाकारों के साथ स्वयं नृत्य करने लगे।

यह आकर्षक नजारा देख दर्शक भी अपने-अपने स्थानों पर थिरकने लगे।

इससे पहले पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन राजसमन्द के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कुंभलगढ़ महोत्सव का आगाज जिला कलक्टर अरविन्द कुमार पोसवाल, पर्यटन विभाग की उप निदेशक शिखा सक्सेना, कुंभलगढ़ के उपखंड अधिकारी परसाराम टांक, आदि ने दुर्ग के वेदी चौक पर महाराणा कुंभा की छवि के

समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

फेस्टिवल के दूसरे दिन सोमवार को शास्त्रीय रूपों का समागम होगा, जिनमें भरतनाट्यम, कथक, कथकली, कुचिपुड़ी, मोहिनी अट्टम इत्यादि नृत्यों की प्रस्तुति मुम्बई की सप्तरंग संस्था के कलाकार देंगे। जबकि तीसरे दिन बांसुरी और सरोद का अनूठा फ्यूजन पेश किया जाएगा। इसे प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार पेश करेंगे। विश्व की दूसरी सबसे बड़ी दीवार उदयपुर से 78 किलोमीटर राजसमंद जिले में स्थित कुंभलगढ़ दुर्ग लगभग 30 किमी व्यास में फैला हुआ है। मेवाड़ के शासक महाराणा कुम्भा ने इसका निर्माण चौदहवीं सदी में कराया और इसके निर्माण में पंद्रह वर्ष लगे।

इस किले को अजेयगढ़ भी कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बडी दीवार है। यह दीवार 36 किलोमीटर लंबी है। वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बने हैं।

राजस्थान की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.