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आप के राजस्थान प्रभारी पद से हटाए गए कुमार विश्वास, केजरीवाल के करीबी दीपक बने नए प्रभारी

आप नेता आशुतोष ने कुमार विश्वास को हटाने की घोषणा करते हुए बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दीपक वाजपेयी को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 11 Apr 2018 06:25 PM (IST)Updated: Wed, 11 Apr 2018 06:50 PM (IST)
आप के राजस्थान प्रभारी पद से हटाए गए कुमार विश्वास, केजरीवाल के करीबी दीपक बने नए प्रभारी
आप के राजस्थान प्रभारी पद से हटाए गए कुमार विश्वास, केजरीवाल के करीबी दीपक बने नए प्रभारी

नई दिल्ली, एजेंसी। कुमार विश्वास को अपनी ही पार्टी ने एकदम हाशिये पर ला दिया है। राजस्थान में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राज्य के प्रभारी पद से बुधवार को हटा दिया गया। आप नेता आशुतोष ने कुमार विश्वास को हटाने की घोषणा करते हुए बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दीपक वाजपेयी को राजस्थान का नया प्रभारी बनाया गया है। कुमार विश्वास की पिछले कई दिनों से पार्टी नेतृत्व से अनबन चल रही है। इस मामले पर अब तक कुमार विश्वास की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

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कुमार के पास वक्त नहीं

आशुतोष ने विश्वास को हटाने की वजह बताई है कि उनके पास राजस्थान में काम करने के लिए 'पर्याप्त वक्त' नहीं है। पार्टी राजस्थान में पूरी क्षमता से चुनाव लड़ेगी। आप के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मतभेद के कारण ही कुमार विश्वास को राज्यसभा में सीट नहीं दी गई थी। उन्हें पार्टी की बैठकों में बोलने का अवसर भी नहीं दिया जाता है।

केजरीवाल के करीबी हैं वाजपेयी

कुमार विश्वास की जगह राजस्थान में जिम्मेदारी संभालने वाले दीपक वाजपेयी केजरीवाल के करीबी हैं। वह कोषाध्यक्ष के साथ ही आप की सर्वोच्च इकाई मानी जाने वाली राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य भी हैं। पूजा का दीप नहीं डरता, इन षड्यंत्री आभाओं से राजस्थान प्रभारी का पद छीने जाने के बाद कुमार विश्वास ने कविता के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने दो ट्वीट किए

-- हम शब्द--

वंश के हरकारे, सच कहना अपनी परंपरा।

हम उस कबीर की पीढी,जो बाबर-अकबर से नहीं डरा।।

पूजा का दीप नहीं डरता, इन षषड्यंत्री आभाओं से।

वाणी का मोल नहीं चुकता, अनुदानित राज्य सभाओं से।

जिसके विरुद्ध था युद्ध उसे, हथियार बना कर क्या पाया?

जो शिलालेख बनता उसको, अखबार बना कर क्या पाया?

तुम निकले थे लेने स्वराज सूरज की सुर्ख  गवाही में,

पर आज स्वयं टिमाटिमा रहे जुगनू की नौकरशाही में,

सब साथ लड़े, सब उत्सुक थे तुमको आसन तक लाने में,

कुछ सफल हुए निर्वीय तुम्हें यह राजनीति समझाने में,

इन आत्मप्रवंचित बौनों का, दरबार बना कर क्या पाया?


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