कोटा के कोचिंग और हॉस्टल संचालक परेशान 5 हजार करोड़ का कर्ज कैसे चुकाएं, बैंकों ने निलाम करने की तैयारी शुरू की
कोचिंग इंस्टीट्यृट व हॉस्टल संचालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन्हे जहां हॉस्टल से लाखों की आमदनी हो रही थी अब बैंकों के लोन की किश्त चुकाना भी मुश्किल हो रहा है। कई कोचिंग इंस्टीट्यृट व हॉस्टल तो ऐसे हैं जहां का रेवेन्यू शून्य ही हो गया है।
जयपुर, जागरण संवाददापता। देशभर में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए बाहर के राज्यों से लगभग दो लाख स्टूडेंट्स आते हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण यहां के स्टूडेंट्स को उनके गृह राज्यों में भेजा गया है। इससे अब ज्यादातर कोचिंग इंस्टीट्यृट और हॉस्टल सुनसान पड़े हुए हैं।
कोचिंग इंस्टीट्यृट व हॉस्टल संचालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन्हे जहां पहले एक महीने में हॉस्टल से लाखों रुपए की आमदनी हो रही थी अब बैंकों के लोन की किश्त चुकाना भी मुश्किल हो रहा है। कई कोचिंग इंस्टीट्यृट व हॉस्टल तो ऐसे हैं जहां का रेवेन्यू शून्य ही हो गया है। कोरोना की मार इन पर ऐसी पड़ी है कि कई हॉस्टल को बिकने की तैयारी में हैं। कुछ को बैंकों ने निलाम करने की तैयारी कर ली। ऐसे हालात बंद हॉस्टलों से बैंकों की किश्त नहीं चुका पाने के कारण हो रही है।
दरअसल, कोटा में करीब 3 हजार हॉटल व दर्जनों इंस्टीट्यूट हैं। जिला प्रशासन व संचालकों के अनुसार इंस्टीट्यृटट एवं हॉस्टलों पर करीब 5000 करोड़ रूपए से अधिक का बैंकों का कर्ज बकाया है। इस कर्ज के बदले इनकों लाख रूपए महीने की किश्त चुकानी होती है। कमाई नहीं होने के कारण अब संकट किश्त चुकाने का खड़ा हो गया। चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुभम अग्रवाल का कहना है कि कर्ज के बदले करीब हर माह 55 से 60 करोड़ रुपये किश्त के रूप में जा रहे हैं, जो भी रेवेन्यू मिलता है, उसमें से 60 से 70 फीसदी किश्त में ही चला जाता है।
कोचिंग संस्थानों के नहीं चलने से आज की तारीख में खर्चा निकालना मुश्किल हो गया है। स्टाफ पुराना होने के कारण उन्हे हटा भी नहीं सकते। किसी को आधा तो किसी को 60 से 70 फीसदी वेतन दे रहे हैं। अब तो एक ही आशा है कि कोटा में कोचिंग दोबारा शुरू हो, नहीं तो भारी नुकसान होगा।
कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल की मानें तो कोटा की कोचिंग संस्थानों में इस बार स्टूडेंट्स नहीं आए तो मान कर चलिए कि कोटा के कोचिंग और हॉस्टल वाले बर्बाद हो जाएंगे। कोटा के लिए कोचिंग शुरु होना बहुत जरूरी है। अब केंद्र सरकार और राज्य सरकार से ही सारी उम्मीदें हैं।
चंबल में खड़े रहकर कोचिंग खोलने की मांग
कोचिंग शुरू करने की मांग को लेकर कोटा बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने जल सत्याग्रह किया। समिति के सदस्यों ने चंबल नदी में भरतरिया कुंड में पानी के बीच कोचिंग शुरू करने के लिए नारेबाजी की। इस दौरान उनके हाथों में तख्तियां थी। जिनमें अबकी बार-आरपार,शिक्षण संस्थान-खोलो सरकार व कोटावासी हो गए बेरोजगार आदि नारे लिखे हुए थे। उन्होंने कहा कि वे कोविड-19 की तय गाइडलान की पालना करने को तैयार हैं,लेकिन सरकार को इंस्टीट्यृट खोलने की अनुमति देनी चाहिए।