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क्या है 57 किलो से अधिक सोने की कहानी, जिसके कानूनी हक को लेकर फैसला 5 अगस्त को

आंजना परिवार की ओर से 55 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए जमा कराए 57 किलो से अधिक सोने के कानूनी हक पर फैसला पांच अगस्त को आएगा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 09:47 PM (IST)
क्या है 57 किलो से अधिक सोने की कहानी, जिसके कानूनी हक को लेकर फैसला 5 अगस्त को
क्या है 57 किलो से अधिक सोने की कहानी, जिसके कानूनी हक को लेकर फैसला 5 अगस्त को

उदयपुर, जागरण संवाददाता। आंजना परिवार की ओर से 55 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को तौलने के लिए जमा कराए 57 किलो से अधिक सोने के कानूनी हक को लेकर उदयपुर की अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली और फैसला सुरक्षित रखा है। 

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क्या है 57 किलो सोने की कहानी

आंजना परिवार के वकील भंवरसिंह बताते हैं कि चित्तौडग़ढ़ जिले की छोटी सादड़ी तहसील के गोमाना गाँव के सर्राफा व्यापारी गणपत लाल पुत्र भैरूलाल आंजना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 16 दिसंबर 1965 को प्रस्तावित छोटी सादड़ी की यात्रा के दौरान उन्हें सोने से तोलने की घोषणा की थी। इसके लिए आंजना परिवार ने शास्त्रीजी वजन के बराबर 57 किलो 863 ग्राम सोना जिला कलेक्टर कार्यालय में सुरक्षित रखवाया था। वह छोटी सादड़ी आ पाते उससे पहले ही ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री जी का निधन हो गया। इसके बाद आंजना परिवार ने जिला कलेक्ट्रेट में प्रार्थना पेश कर वहाँ जमा कराया सोना वापस लौटाने की मांग की लेकिन राजनीतिक कारण और कानूनी दावपेच की वजह से यहा सोना आंजना परिवार को नहीं मिल पाया।

गणपतलाल आंजना की मौत के बाद उनके बेटे गोवर्धन लाल आंजना और उनके परिवार के सदस्य पिछले 55 साल से इस सोने के लिए हक के लिए लड़ाई जारी रखे हुए हैं।

57 किलो सोने के हक को लेकर फैसला 5 अगस्त को

फैसला सुनाए जाने की तिथि पांच अगस्त बुधवार रखी है। उदयपुर स्थित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मंगलवार को आंजना परिवार की ओर से उनके वकील भंवर सिंह ने जमा सोने के दस्तावेज अदालत के समक्ष रखे। दूसरी ओर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की ओर से जयपुर, जोधपुर तथा चित्तौडग़ढ़ से आए वकीलों ने भी दस्तावेज रखे। उनका तर्क था कि उक्त सोने को लेकर पूर्व में अदालत निर्णय नहीं कर पाई थी और यह साबित नहीं हो पाया था कि उक्त सोने पर किसका हक है। जिसके बाद यह सोना केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग को सौंपे जाने के आदेश हुए थे। 

इधर, आंजना परिवार के वकील ने बताया कि उक्त आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया था। उक्त सोने को जिला कलक्ट्रेट कार्यालय में जमा कराई रसीद तथा आयकर विभाग के मिले नोटिस को प्रस्तुत कर उन्होंने इस सोने पर आंजना परिवार का हक बताया। दोनों पक्षों में हुई सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब बुधवार पांच अगस्त को फैसला सुनाया जाएगा।


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