पढ़ने से नाराज पंच: बाल-विवाह की शिकार पीड़िता के परिजनों पर खाप पंचायत ने लगाया दो लाख जुर्माना
राजस्थान में बाल-विवाह होने के बाद एक विवाहिता को उसके ससुराल वालों ने सिर्फ इसलिए घर से निकाल दिया क्योंकि वह आगे पढ़कर अपना करियर बनाना चाहती है ।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के राजसमंद जिले में बाल-विवाह होने के बाद एक विवाहिता को उसके ससुराल वालों ने सिर्फ इसलिए घर से निकाल दिया, क्योंकि वह आगे पढ़कर अपना करियर बनाना चाहती है। विवाहिता का पति दसवीं कक्षा फेल है। विवाहिता की पढ़ने की इच्छा समाज की पंचायत को इतनी नागवार गुजरी कि उसके परिजनों को समाज से बहिष्कृत कर दिया। समाज की पंचायत ने विवाहिता के साथ उसके पीहर पक्ष को भी बहिष्कृत कर दिया। ससुराल वाले अपनी बहू को पहले ही घर से बाहर निकाल चुके थे। पंचायत ने पीड़िता और उसके पीहर पक्ष को फिर से समाज मे लेने के लिए दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अब यह परिवार समाज के पंचों के खिलाफ न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है ।
यह है पूरा मामला
यह मामला राजसमंद के रेलमगरा उपखण्ड की सकरावास पंचायत का है। सकरावास पंचायत की सुखी अहीर का विवाह बपचन में ही हो गया था। युवा होने पर वह दिल में अरमान लेकर ससुराल पहुंची। वह आगे पढ़ना चाहती है, इसलिए उसने स्नातक करने के बाद समाजशास्त्र में स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई शुरू की, लेकिन ससुरालवालों ने पढ़ाई बंद करने का यह कहकर दबाव बनाया कि चूल्हा- चौका काम करो।
सुसराल वालों के साथ ही समाज के पंचों ने कहा कि तेरा पति तो दसवीं से आगे नहीं पढ़ा तू पढ़कर क्या करेगी। सुखी ने आगे पढ़ने की जिद की तो ससुरालवालों ने इसे प्रताड़ित करके घर से निकाल दिया। सुखी के पढ़ने की जिद के चलते उसके पीहर पक्ष ने सहमति दे दी। सुखी पढ़ाई में अड़चन पैदा करने वाले ससुराल और पति के साथ नहीं रहना चाहती, इसलिए उसने तलाक की मांग कर दी।
मामला पुलिस और कोर्ट में चला गया। इस पर उसके ससुराल पक्ष ने इसके फैसले के लिए समाज के पंचों के दखलंदाजी की मांग की। इसी बीच विवाहिता के पिता गोपीलाल गंभीर रूप से बीमार हो गए। उन्हें जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक तरफ तो विवाहिता के पिता अस्पताल में भर्ती थे,वहीं दूसरी तरफ समाज के पंचों ने पंचायत करके उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया। उनका हुक्कापानी बंद कर दिया गया। उनके परिवार पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
पीड़ित परिवार ने दो लाख रुपये देने की हैसियत नहीं होने की बात कही तो धमकियां देना शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार ने पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर न्याय की मांग की है। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर स्थानीय पुलिस ने पूछताछ शुरू की तो समाज की पंचायत के उपाध्यक्ष लक्ष्मण अहीर ने पीड़ित परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करने से इंकार कर दिया।
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