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Pushkar Fair 2019: पुष्कर मेले में कबड्डी प्रतियोगिता व घोड़ों का नृत्य देखने उमड़े पर्यटक

Pushkar Fair 2019. पुष्कर मेले में कबड्डी प्रतियोगिता के बाद विजेता खिलाड़ियों को राजस्थानी साफे पहनाकर सम्मानित किया गया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 06:32 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:32 PM (IST)
Pushkar Fair 2019: पुष्कर मेले में कबड्डी प्रतियोगिता व घोड़ों का नृत्य देखने उमड़े पर्यटक
Pushkar Fair 2019: पुष्कर मेले में कबड्डी प्रतियोगिता व घोड़ों का नृत्य देखने उमड़े पर्यटक

जयपुर, जागरण संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में देशी-विदेशी पर्यटकों की आवक लगातार जारी है। विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में मेले में पहुंच रहे हैं। मेले के तीसरे दिन बुधवार को मेला स्टेडियम में विभिन्न खेलकूद व पशु प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। सबसे पहले देशी-विदेशी पर्यटकों के बीच कबड्डी प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस दौरान पर्यटक राजस्थानी रंग में नजर आए। कबड्डी प्रतियोगिता के बाद विजेता खिलाड़ियों को राजस्थानी साफे पहनाकर सम्मानित किया गया।

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इसके बाद मेले में हॉर्स डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें अलग-अलग जगह से पहुंचे घोड़ों ने नृत्य किया। घोड़ों का नृत्य देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। बुधवार शाम को पुष्कर सरोवर में हुई आरती में देशी पर्यटकों के साथ ही विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में शामिल हुए। इससे पहले मंगलवार को पर्यटन विभाग की ओर से ऊंट श्रृंगार गोरबंध व ऊंट नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। पहले दौर में आयोजित कैमल डेकोरेशन प्रतियोगिता में 10 ऊंट पालकों ने अपने-अपने ऊंटों व ऊंटनियों को दूल्हा-दुल्हन की तरह सजा कर मंच पर लाए। यहां ऊंटों से कैटवाक कराया गया। प्रतियोगिता में सीकर के विजेंद्र सिंह प्रथम रहे।

पुष्कर के रेतीले धोरों के साथ ही ऊंट की सवारी और बैलून सफारी पिछले तीन दिन से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। पुष्कर मेले में पहुंच रहे देशी-विदेशी पर्यटक अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में भी जियारत करने जाते हैं। पुष्कर में धार्मिक मेला कार्तिक एकादशी स्नान के साथ आठ नवंबर से शुरू होगा।

मेले का समापन 12 नवंबर को होगा। जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने बताया कि इस साल पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक संख्या में पर्यटक मेले में शामिल होने पहुंच रहे हैं।

विदेशियों के आकर्षण के कई कारण

विदेशी पर्यटकों के पुष्कर मेले में पहुंचने के कई कारण हैं। पुष्कर में उन्हें सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म को समझने का मौका मिलता है। कई विदेशी यहां शोध करने भी आते हैं। इसके अलावा यहां के रेतीले धोरे, नाग पहाड़, गुलाब के फूलों के बाग, कैमल और डेजर्ट सफारी, लोकगीत और लोकनृत्य विदेशी पर्यटकों को बहुत आर्किषत करते हैं। अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह और आनासागर भी विदेशियों के यहां पहुंचने का कारण हैं।

ये है मेले का महत्व

मान्यता है कि कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा पांच दिनों तक सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में यज्ञ किया था। इस दौरान 33 करोड़ देवी-देवता भी पृथ्वी पर मौजूद रहे थे। इसी कारण से पुष्कर में कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस माह में सभी देवताओं का पुष्कर में वास होता है। इन्हीं मान्यताओं के चलते पुष्कर मेले का आयोजन होता है। पुराने समय में लोग संसाधनों की कमी के कारण पशुओं को भी अपने साथ लेकर आते थे। इस कारण यह धीरे-धरे पशु मेले का भी रूप लेता गया।

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