न्यायमूर्ति माहेश्वरी बोले- प्रदेश की न्यायपालिका चहुंमुखी प्रगति की ओर अग्रसर, आम जनता को न्याय प्राप्त हो रहा
न्यायमूर्ति माहेश्वरी बोले प्रदेश की न्यायपालिका चहुंमुखी प्रगति की ओर अग्रसर राज्य का श्रेष्ठतम नवीन न्यायालय भवन जनता को समर्पित
उदयपुर, जेएनएन। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि प्रदेश की न्यायपालिका चहुंमुखी प्रगति की ओर अग्रसर है जिसके फलस्वरूप आम जनता को सस्ता और सुलभ न्याय प्राप्त हो रहा है। न्यायमूर्ति माहेश्वरी रविवार को निम्बाहेडा मार्ग पर 24 करोड रुपये की लागत से प्रदेश के श्रेष्ठतम नवीन न्यायालय भवन के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इस भवन को प्रदेश की जनता को समर्पित करते हुए कहा कि न्यायालय भवन के पूर्वाभिमुख दुर्गराज के दर्शन की अनुभूति के साथ कहा कि दुर्ग की विश्व ख्याति के अनुरूप इस न्यायालय की ख्याति भी देश व प्रदेश में आदर्श बननी चाहिए।
न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति इन्द्रजीत महंती की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस पद पर आसीन होने के मात्र 3 दिन में प्रदेश की न्याय व्यवस्था के बारे में पूर्ण अध्ययन कर भावी योजना के प्रस्ताव तैयार कर लिए हैं। ऐसी रचनात्मक सोच से प्रदेश के न्यायक्षेत्र में अभिवृद्धि होना स्वभाविक है।
समारोह के विशिष्ठ अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के एस रविन्द्र भट्ट ने कहा कि प्रदेश के न्यायालयों में अनुशासन और स्वच्छता को प्राथमिकता दी जा रही है। वहीं पिछले पांच माह में ही 10 वर्ष से अधिक पुराने 80 हजार से प्रकरण तथा 20 वर्ष से अधिक के 16 हजार प्रकरणों का निस्तारण कर जनता को राहत दी गई है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति इन्द्रजीत महंती ने समारोह की भूल को याद दिलाते हुए कहा कि अपनी प्रकार के अनूठे भवन निर्माण में खून पसीना बहाने वालों का अभिनंदन किया जाना चाहिए।
उन्होनें परिसर में लिटिगेंट शेड शब्द के उपयोग पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह शब्द हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह परिसर आमजनता का है। ऐसी स्थिति में लिटिगेंट शेड के बजाय वहां स्वागत कक्ष बनाकर पक्षकारों और परिवादियों को उचित मार्गदर्शन के साथ उनका हक दिलाने के प्रयास करें। समारोह के विशिष्ठ अतिथि प्रशासनिक न्यायाधिपति मोह. रफीक ने कहा कि प्रदेश में कहीं भी इतना विशाल, आकर्षक और विस्तृत न्यायालय परिसर नहीं है। लगभग 30 बीघा के इस परिसर में 25 करोड़ रुपये की लागत से बने भवन में 13 न्यायालयों के साथ 66 अधिवक्ता चेंबर और सभी प्रकार की सुविधाएं सुलभ है वहीं परिसर में सौर उर्जा के प्रस्ताव भी तैयार किये जा चुके हैं।