जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का आगाज, जानें-किसने क्या कहा
jaipur literature festival. राजस्थान में पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल शुरू हो गया है।
जयपुर, जेएनएन। गुलाबी नगरी जयपुर की सर्द सुबह गुरुवार को शब्दों के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के साथ गर्मा उठी। डिग्गी पैलेस में शब्दों, विचारों, मत, विमत, कला, संस्कृति और विज्ञान की गंगा पूरे दिन एक साथ एक लय में बही और इसके सत्र स्थल वे घाट बन गए जहां लोगों ने जम कर इस महाकुंभ का आनंद लिया।
जयपुर में लगने वाला शब्दों का पांच दिवसीय सालाना मेला गुरुवार से शुरू हो गया। श्रुति विश्वनाथन के शास्त्रीय गायन के और नगाडों व शंख ध्वनि के साथ शुरू हुए लिटरेचर फेस्टिवल का पहला ही उद्बोधन आज के दौर मे विज्ञान की जरूरत पर था। जिसने इस बात को रेखांकित किया कि कला, साहित्य और विज्ञान अलग-अलग नहीं है। ये बस धाराएं हैं, जो कभी भी एक हो सकती हैं। फेस्विटल डायरेक्टर संजोय के.राॅय ने कहा भी कहा कि हम विरोधी मत को आवाज देेने के लिए भी एकत्र होते हैं। उन्होंने कहा कि 12 वर्ष पहले जब हमने इसे शुरू किया था तो हम 170 आदमियों के इकट्ठा होने का भी इंतजार कर रहे थे, आज यहां पांच लाख लोग आते हैं। उन्होंने कहा कि इस फेस्टिवल ने इस मिथक को भी तोड़ा है कि नई पीढ़ी साहित्य को पसंद नहीं करती। यहां आने वाले 80 फीसद लोग 30 वर्ष या इससे कम आयु के हैं। फेस्विलल की सह निदेशक नमिता गोखले ने पांच दिन के दौरान होने वाले प्रमुख सत्रों की जानकारी दी और राजस्थान के कला व संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि कला और संस्कृति के बिना हम पशु समान हो जाएंगे। ऐसे कार्यक्रम हमारे बीच आपसी सद्भाव को बढ़ाते हैं।
फेस्टिवल के पहले दिन अलग अलग सत्रों में नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक वैंकी राधाकृष्णन, गीतकार गुलजार, फिल्मकार मेघना गुलजार, सिगर उषा उत्थुप, साहित्यकार नरेन्द्र कोहली, राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, सांसद शशि थरूर जैसी हस्तियों ने साहित्य, संस्कृति, लेखन, संगीत और विज्ञान व राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
शुक्रवार को ये छाएंगे
शुक्रवार को गुलजार फिल्मी गीतों के पीछे की कहानी बताएंगे, वही एक्टिविस्ट अरुणा राॅय सूचना के अधिकार की कहानी पर बात करेंगी। इनके अलावा शायर जावेद अख्तर और उनकी पत्नी अभिनेत्री शबाना आजमी जां निसार अख्तर व कैफी आजमी के बारे मे बात करेंगे। इनके अलावा भी कई सत्र होंगे।
विज्ञान की अपनी खूबसूरती है और आज के दौर में बेहद जरूरी है
कैम्ब्रिज विश्वविदयालय के प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता वैंकी रामकृष्णन का कहना है कि विज्ञान सिर्फ ज्ञान ही नहीं है, बल्कि इसकी अपनी खूबसूरती भी है। कवि कलाकार चांदनी रात का जैसा वर्णन करते है, हबल दूरबीन से भी रात का आकाश उतना ही खूबसूरत दिखता है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिव्ल के उद्घाटन सत्र में “आज के दौर में विज्ञान की भूमिका” विषय पर अपने मुख्य उद्बोधन में वैंकी ने कहा कि आज के दौर में विज्ञान अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है। आज हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां विज्ञान और तकनीक सर्वव्यापी है, लेकिन क्या हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बिजली प्राप्त कर सकते है या बढ़ती जनसंख्या के लिए अनाज पैदा कर सकते है। इन विषयों पर विचार करना बेहद जरूरी है। आज के दौर में विज्ञान का सही इस्तेमाल बेहद जरूरी है। विज्ञान तथ्यों पर आधारित होता है और यह हमारे आज के दौर की कई चुनौतियों का जवाब दे सकता है।
वैंकी ने कहा कि हमें विज्ञान और गणित का आनंद लेना चाहिए, क्योंकि यह मानव सभ्यता की बड़ी उपलध्ब्धि है और हमारी संस्कृति, इतिहास और साहित्य का हिस्सा भी रहे है। विज्ञान के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप कौन हैं और कहां क्या लिख रहे है। विज्ञान में आपका विचार इसलिए स्वीकार होता है कि यह तथ्यों औैर परीक्षणों पर आधारित होता है और इसे बाद में कहीं भी फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है। यूरोप और अमरीका ने विज्ञान का इस्तेमाल किया, वहां औद्योगिक क्रांति हुई और ये देश चीन और भारत से आगे निकल गए। विज्ञान और तकनीक ही आज आर्थिक समृद्धि का कारण बने हुए हैं। जिन देशों के पास संसाधन कम थे, लेकिन तकनीकी ज्ञान थे, वे आगे बढ़ गए। सिंगापुर और स्विटजरलैंड इसके उदाहरण हैं। ज्ञान सिर्फ समृद्धि ही नहीं देता। इससे जीवन भी बेहतर होता है। आज हम पहले से ज्यादा समय तक जिंदा रह पाते है और यह विज्ञान की वजह से ही संभव हुआ हेै।
मैं कांजीवरम साड़ी में नाइटक्लब में गाती थी
कांजीवरम साड़ी और माथे पर बड़ी सी बिंदी लगाने वाली पाॅप सिंगर उषा उत्थुप ने कहा कि मैंने उस दौर में नाइटक्लबस में गाती थी, जब इसे बहुत गलत माना जाता था, लेकिन कांजीवरम साड़ी में नाइटक्लब्स मे गाने वाली मैं पहली और अकेली सिंगर थी।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में फेस्टिवल डायरेक्टर संजोय के राॅय के साथ बातचीत में अपने गायन के 50 साल के सफर के बारे में उषा उत्थुप ने बहुत खुल कर बात की। उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाने वाली हीरोइन्स के गाने दिए गए, लेकिन मुझे इसकी कोई पीड़ा या दुख नहीं है, क्योंकि इन्हीं गानोें ने मुझे यहां तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि मैंने नाइटक्लब्स से गाना शुरू किया और आज इतना लंबा सफर तय किया तो इसका कारण सिर्फ यह है कि लोगों ने मेरी इस अजीब आवाज को भी बहुत पसंद किया। उन्होंने कहा कि तालियों का नशा बहुत जबर्दस्त होता है और यह नशा मुझे बहुत जल्दी लग गया था। उन्होंने कहा कि मै एक ऐसे परिवार से आती हूं, जहां सब गाते हैं। मेरे माता पिता भी बहुत अच्छे गायक थे और मेरे पिता ने मां को गा कर ही प्रपोज किया था।
उन्होंने कहा कि आरडी बर्मन और बप्पी लहरी के साथ मैंने सबसे ज्यादा काम किया, क्योंकि ये मेरी आवाज की जरूरत को पहचानते थे और मैं कोई गलती भी करती थी तो उसे सुधारने का मौका देते थे। उन्होंने बताया कि फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा का फेमस गीत दम मारो दम पहले उन्हें ही गाना था, इसकी रिहर्सल भी उन्होंने कर ली थी, लेकिन बाद में यह गाना आशा जी ने गाया और यह बहुत खूब चला। आज भी यह गाना मेरे गाने के नाम से पहचना जाता है। इसकी मुझे खुशी है और यह साबित करता है कि गाना ही बड़ा होता है गायक नहीं। उन्होंने कहा कि अपनी आवाज के कारण ही मैं पहली महिला गायक हूं, जिसने मिथुन चक्रवती के लिए गाना गाया।