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राजस्थान सरकार को गोवर्धन परिक्रमा पथ से टाइलेें हटाने के निर्देश

Govardhan Parikrama Pathनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिए है कि गोवर्धन पर्वत के परिक्रमा पथ पर लगाई गई टाइलें हटा कर इसे वापस मूल स्वरूप में लाया जाए।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 09:39 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 09:39 AM (IST)
राजस्थान सरकार को गोवर्धन परिक्रमा पथ से टाइलेें हटाने के निर्देश
राजस्थान सरकार को गोवर्धन परिक्रमा पथ से टाइलेें हटाने के निर्देश

जयपुर, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिए है कि गोवर्धन पर्वत के परिक्रमा पथ पर लगाई गई टाइलें हटा कर इसे वापस मूल स्वरूप में लाया जाए।

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जस्टिस रघुवेन्द्र एस. राठौड की अध्यक्षता वाली बैंच ने अपने आदेश में कहा है कि परिक्रमा के रास्ते के कच्चे मार्ग को वापस मूल स्वरूप में लाया जाना जरूरी है, क्योंकि टाइलों और सडक वाले कठोर रास्ते पर नंगे पैर 21 किलोमीटर की परिक्रमा श्रद्धालुओं के लिए बहुत मुश्किल पैदा कर रही है।

बैंच ने कहा है कि हम मानते हैं कि भरतपुर और डीग में पदस्थापित राजस्थान सरकार के अधिकारी जानते हैं कि यह परिक्रमा सिर्फ नंगे पैर ही नहीं बल्कि दंडवत तरीके से भी की जाती है। ऐसेे में परिक्रमा के पथ को टाइलों और सडक से कठोर बनाए जाने से श्रद्धालुओं की मुश्किलें बहुत बढ जाएंगी, विशेषकर गर्मी में परिक्रमा करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

ट्रिब्यूनल ने कहा है कि सीमेंट की टाइलें तुरंत हटाई जाएं और परिक्रमा पथ को इसके मूल स्वरूप में लाया जाए और इसका मलबा आज से दो सप्ताह में साफ कर दिया जाए।

ट्रिब्यूनल आदेश की पालना रिपोर्ट देने के निर्देश भी दिए है। ट्रिब्यूनल इससे पूर्व भरतपुर के पुलिस अधीक्षक और डीग के उपखण्ड अधिकारी से यहां हुए निर्माण प्रतिबंधित क्षेत्र में हुए निर्माणों के बारे में भी रिपोर्ट मांग चुका है।

ट्रिब्यूनल मथुरा के गिरिराज परिक्रमा संरक्षण संस्थान की ओर से दायर याचिका की सुनवाई कर रहा है। इनकी मांग है कि ट्रिब्यूनल द्वारा चार अगस्त 2015 को दिए गए निर्देशों की पालना कराई जाए। संस्थान ने यहां के प्रशासन द्वारा गोवर्धन के तालाबों में सीवरेज का पानी और कचरा डाले जाने का मुददा उठाया था।  


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