राजस्थान में बढ़ रहा विधायकों में असंतोष, विधायकों को संतुष्ट करने के लिए संसदीय सचिव व चेयरमैन बनाने की तैयारी
विधायकों को संतुष्ट करने के लिहाज से राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार 8 से 10 संसदीय सचिव बनाने की तैयारी कर रही है। इनमें पहली बार विधायक बने कांग्रेसियों के साथ ही गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक शामिल है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। विधायकों को संतुष्ट करने के लिहाज से राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार 8 से 10 संसदीय सचिव बनाने की तैयारी कर रही है। इनमें पहली बार विधायक बने कांग्रेसियों के साथ ही गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक शामिल है। बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले आधा दर्जन विधायकों में से तीन को चेयरमैन बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर कांग्रेस में कसरत चल रही है।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार विधानसभा के बजट सत्र से पहले संसदीय सचिव बनाने का काम पूरा होगा। दरअसल, लंबे समय से मंत्रिमंडल का विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने कांग्रेस विधायकों, बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले आधा दर्जन विधायकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही सरकार को समर्थन देने वाले 10 निर्दलीय विधायक भी नाराज है। इन विधायकों को संतुष्ट करने के लिए संसदीय सचिव और बोर्ड एवं निगमों में राजनीतिक नियुक्तियां देने की रणनीति बनाई गई है। विधानसभा सत्र से पहले इन्हे मंत्री स्तर की सुविधा देकर सदन में अपनों से ही होने वाली संभावित मुश्किल को रोकने की रणनीति बनाई गई है । वर्तमान में सीएम के अलावा सरकार में 20 मंत्री हैं।
सरकार में 10 नये मंत्री और बनाए जा सकते हैं। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व का विचार है कि वरिष्ठ विधायकों को मंत्री बनाने के साथ ही नये विधायकोें को संदीय सचिव बनाकर उपकृत किया जाए। हालांकि विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में बनाए गए 10 संसदीय सचिवों का विरोध किया था। यह मामला हाइकोर्ट में भी गया था। उस समय कांग्रेस का कहना था कि विधानसभा की कुल सदस्य संख्या 200 के 15 फीसदी अर्थात 30 को ही मंत्री बनाया जा सकता है। वसुंधरा राजे सरकार ने मंत्रियों के अलावा संसदीय सचिव भी बना दिए जो गलत हैं। वहीं वसुंधरा राजे सरकार ने हाइकोर्ट में तर्क दिया था कि संसदीय सचिव मंत्री नहीं है।
संसदीय सचिव तो मंत्रियों के सहायक के रूप में काम करते हैं। संसदीय सचिव ना तो मंत्रपरिषद की बैठक में शामिल होते हैं और ना ही इन्हे मंत्रियों की तरह अधिकार हैं। उल्लेखनीय है कि देश के कई राज्यों में संसदीय सचिव बनाए जाने को लेकर विवाद हुआ है। सिक्किम और असम में संसदीय सचिवों को लेकर कानून बनाए गए थे, जिन्हे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिए थे। छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सचिवों का मामला कोर्ट तक पहुंचा था। दिल्ली सरकार में भी संसदीय सचिव बनाए जाने का मामला काफी चर्चा में रहा था। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन पूर्व में ही कह चुके हैं कि 31 जनवरी तक संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों का काम पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद मंत्रिमंडल में बदलाव होगा।