राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़े अपराध, विपक्ष ने कांग्रेस सरकार को घेरा
राजस्थान में मार्च- अप्रैल में चुनाव आचार संहिता के दौरान अपराधों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखी गई।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में मार्च- अप्रैल में चुनाव आचार संहिता के दौरान अपराधों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखी गई। फरवरी में जहां सभी तरह के अपराधों में कमी आई थी, वहीं मार्च और अप्रैल में इनमें तेजी से बढ़ोतरी देखी गई। मई के आंकड़े अभी आने बाकी हैं लेकिन इसमें भी वृद्धि तय मानी जा रही है। उधर पुलिस की कार्यशैली को लेकर राजस्थान में भाजपा ही नहीं, सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक और मंत्री तक हमलावर हो रहे हैं। यह स्थिति तब है जब गृह विभाग खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संभाल रहे हैं।
राजस्थान में मौजूदा कांग्रेस सरकार ने दिसंबर में सत्ता संभाली थी पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनवरी, 2019 में 17 हजार 404 अपराध हुए थे। फरवरी में इनमें कमी देखी गई और 14 हजार 363 अपराध दर्ज हुए। यानी करीब 17.47 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई। यही नहीं उक्त महीने में जनवरी 2019 के मुताबले हत्या को छोड़ सभी अपराध कम दर्ज हुए थे। इसके बाद मार्च में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई और मार्च, अप्रैल तथा मई आचार संहिता में निकल गए।
मार्च और अप्रैल के आंकड़े बताते हैं कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान राजस्थान में अपराधों में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। फरवरी में जहां हत्या को छोड़कर सभी अपराधों में कमी आई थी, वहीं मार्च और अप्रैल में नकबजनी और चोरी को छोड़कर सभी तरह के अपराध बढ़ गए।
मार्च में कुल 15 हजार 113 अपराध दर्ज हुए और इनमें 5.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं अप्रैल में आंकड़ा और बढ़ा। इस माह 15 हजार 786 अपराध दर्ज किए गए। इस दौरान अपहरण, बलवा और बलात्कार के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखी गई। बलवे के मामले फरवरी में 19 थे जो मार्च में 40 तक जा पहुंचे। बलात्कार के मामले जो फरवरी में 286 थे वे अप्रैल में 468 तक जा पहुंचे। इसी तरह अपहरण के मामले फरवरी में 538 थे जो अप्रैल में 607 तक जा पहुंचे। मई के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए है, लेकिन इनमें भी बढ़ोतरी होने की संभावना जताई जा रही है।
उधर, पुलिस विभाग के सूत्रों का कहना है कि मार्च-अप्रैल में आचार संहिता के दौरान पुलिस बल के पास दूसरे कई काम आ जाते हैं। इनमें चुनाव से जुड़ी ड्यूटी, वीआईपी मूवमेंट आदि कई काम होते हैं। इसके कारण पुलिस का रूटीन काम काफी प्रभावित होता है।
पुलिस की कार्यशैली से कांग्रेस विधायक और मंत्री तक नाराज
पुलिस की लचर कार्यशैली को लेकर राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा तो सरकार पर हमलावर है ही, सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक और मंत्री भी इसे लेकर आलोचना कर रहे हैं। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह पिछले दिनों अपने गृह जिले भरतपुर में पुलिस की कार्यशैली की सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस के विधायक हरीश मीणा तो टोंक में एक ट्रैक्टर चालक की हत्या के मामले में पुलिस के रवैये के खिलाफ धरना और अनशन तक कर चुके हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर पुलिस को घेरा।
मीणा राजस्थान पुलिस के डीजीपी रह चुके हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि राजस्थान में अपराधों में अचानक बढ़ोतरी हुई है। इससे सरकार की बदनामी हो रही है। अब बहाने करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि जवाबदेही तय करने की जरूरत है। मीणा ने अलवर के थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म मामला और टोंक के हरभजन हत्याकांड का उदाहरण देते हुए कहा कि इनमें पुलिस की कार्रवाई का स्तर शर्मनाक रहा। इस मामले मे अहम बात यह है कि गृह विभाग की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है। ऐसे में सरकार के विधायक और मंत्री के इस तरह के बयानों को सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पर निशाना माना जा रहा है।
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