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Rajasthan: इन गांवों में आपदा के डर से नहीं बनते पक्के घर, दूल्हे को नहीं बिठाया जाता घोड़ी पर

marriage in Rajasthan. यहां के लोग आपदा के डर से पक्के घर नहीं बनाते और दूल्हे को शादी में घोड़ी पर नहीं बिठाते हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 02:03 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 02:03 PM (IST)
Rajasthan: इन गांवों में आपदा के डर से नहीं बनते पक्के घर, दूल्हे को नहीं बिठाया जाता घोड़ी पर
Rajasthan: इन गांवों में आपदा के डर से नहीं बनते पक्के घर, दूल्हे को नहीं बिठाया जाता घोड़ी पर

जागरण संवाददाता, जयपुर। marriage in Rajasthan. राजस्थान में दो गांव ऐसे हैं, यहां के लोग आपदा के डर से पक्के घर नहीं बनाते और दूल्हे को शादी में घोड़ी पर नहीं बिठाते हैं। इनमें एक गांव अजमेर जिले का देवमाली और दूसरा डूंगरपुर जिले का खरिया गांव है। इन दोनों गांवों में काफी समानता है। इन दोनों ही गांवों के लोग पक्के घर नहीं बनाते हैं।

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इन गांवों की कहानी बड़ी दिलचस्प है। यहां के लोग आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी पक्के का घर नहीं बनाते हैं और मिट्टी के घरों में रहते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि पक्का घर बनते ही कोई आपदा आ सकती है। खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इन गांवों में शादी के दौरान दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बिठाया जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इससे विवाह के बाद हादसे हो जाते हैं। देवमाली गांव के ग्रामीण खुद को एक ही पूर्वज के संतान मानते हैं। उनका कहना है कि उनके पूर्वज ने ही देवमाली गांव को बसाया था। यहां के निवासी भैरूराम जादौन ने बताया कि गांव में जब भी किसी ने पक्का घर बनाया तो वह गिर गया। ये लोग इसे मान्यता मानते हैं।

वहीं, अन्य लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। गांव के अधिकांश लोग शाकाहारी हैं। इसी तरह खारिया गांव में नब्बे फीसद आदिवासी रहते हैं। इस गांव में भी मिट्टी के घर बने हुए हैं। इस गांव के लोग भी आपदा के भय से पक्के घर नहीं बनाते हैं। खारिया के लोगों का कहना है कि कई सालों पहले लोगों ने पत्थर के घर बनाए थे, लेकिन वे गिर गए,तब से गांव में कच्चे घर बनते हैं। खारिया गांव में लोग दूर-दूर कच्चे घर बनाकर रहते हैं। इन दोनों ही गांव में पक्के घर नहीं बनाने को लेकर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कई बार ग्रामीणों से बात की, समझाया कि हो सकता है कि उनका डर मात्र अंधविश्वास हो, लेकिन वे किसी की बात मानने को तैयार नहीं हैं।

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