Asaram: थानाधिकारी को धमकाने के मामले में आसाराम की याचिका पर सुनवाई टली
Asaram case. जेल में बंद आसाराम की तत्कालीन थानाधिकारी को धमकाने के मामले में एक याचिका पर हाई कोर्ट में समयाभाव के चलते सनवाई टल गई।
संवाद सूत्र, जोधपुर। Asaram case. अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा से यौन शोषण आरोप में जेल में बंद आसाराम की तत्कालीन थानाधिकारी को धमकाने के मामले में एक याचिका पर हाई कोर्ट में समयाभाव के चलते सनवाई टल गई। आसाराम के खिलाफ पुलिस को धमकाने व दुष्प्रचार करने का मामला जोधपुर के उदयमंदिर थाना के तत्कालीन एसएचओ हरजीराम ने दर्ज करवाया था। इसमें आसाराम की ओर से धाराओं में संशोधन को लेकर याचिका लगाई थी। इस याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की कोर्ट में समयाभाव के चलते सुनवाई टल गई।
दरअसल, आसाराम के समर्थकों ने उदयमंदिर थानाधिकारी हरजीराम का रावण के रूप में कार्टून बनाकर सोशल मीडिया वायरल कर दिया था। इसके अलावा जान से मारने की धमकी भी दी थी। पुलिस ने इस मामले में आसाराम के खिलाफ जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट संख्या तीन की अदालत में चालान पेश किया था। बाद में एडीजे कोर्ट ने आसाराम को आंशिक राहत देते हुए कुछ धाराओं को हटा दिया था। इस पर आइपीसी की धारा 353, 355, 117, 190 और 120बी के विरुद्ध याचिका पेश की थी। याचिका में इन धाराओं को हटाने की मांग की गई थी।
आसाराम को हाई कोर्ट से झटका, सजा स्थगन की याचिका खारिज
गौरतलब है कि इससे पहले जोधपुर जेल में बंद दुष्कर्मी आसाराम की राजस्थान हाई कोर्ट ने सजा स्थगन करने की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही अंतिम सांस तक जेल की सजा भुगत रहे आसाराम की जेल से बाहर निकलने की उम्मीदें भी लगभग समाप्त हो गई। वहीं इस सजा के खिलाफ दायर एक अन्य याचिका को प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने के आसाराम के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने आंशिक राहत प्रदान करते हुए जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई की तिथि तय कर दी।
नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले में आसाराम जोधपुर जेल में सजा काट रहा है। आसाराम की सजा स्थगन की याचिका पर सोमवार उसकी ओर से मुंबई के वकील एस. गुप्ते पेश हुए। न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश वीके माथुर की खंडपीठ में उन्होंने पीड़िता की उम्र पर सवालिया निशान लगाते हुए उसे बालिग बताने का प्रयास किया। अपने तर्क में गुप्ते ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले पेश किए। लेकिन, खंडपीठ ने उनकी दलीलों पर असहमति जताते हुए पीड़िता के स्कूल रिकॉर्ड में दर्ज उम्र को सही माना। इसके बाद खंडपीठ ने आसाराम की याचिका को खारिज कर दिया।