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Udaipur Nagar Nigam: गुलाबचंद कटारिया तय करेंगे निगम में कौन होगा उपमहापौर

Gulabchand Kataria. जबकि ज्यादातर पार्षद उपमहापौर के लिए पारस सिंघवी को पहली प्राथमिकता मानते हैं लेकिन कोई भी पार्षद कटारिया के प्रस्तावित नाम का विरोध नहीं कर सकता।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 12:53 PM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 12:53 PM (IST)
Udaipur Nagar Nigam: गुलाबचंद कटारिया तय करेंगे निगम में कौन होगा उपमहापौर
Udaipur Nagar Nigam: गुलाबचंद कटारिया तय करेंगे निगम में कौन होगा उपमहापौर

उदयपुर, सुभाष शर्मा। Gulabchand Kataria. राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ही तय करेंगे कि नगर निगम में उपमहापौर कौन होगा। इससे पहले कटारिया ने महापौर के लिए जीएस टांक के नाम पर मुहर लगाई थी और मंगलवार को महापौर चुन लिए गए।

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भाजपा की ओर से उपमहापौर के लिए चर्चा में दो नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। इनमें ताराचंद जैन तथा पारस सिंघवी शामिल हैं। ताराचंद जैन कटारिया के नजदीकियों में से हैं और भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। पारस सिंघवी लगातार चार बार जीतकर बोर्ड में सबसे अनुभवी पार्षद हैं। कटारिया समर्थक होने के बावजूद पिछली बार महापौर के दावेदारी जताने के बाद भी कटारिया ने सिंघवी का समर्थन नहीं किया और चंद्र सिंह कोठारी को महापौर बनाया। इसके चलते इस बार भी माना जा रहा है कि कटारिया एक बार फिर अप्रत्याशित रूप से पहली बार पार्षद बने ताराचंद जैन को उपमहापौर के लिए पार्टी से उतार सकते हैं, जबकि ज्यादातर पार्षद उपमहापौर के लिए पारस सिंघवी को पहली प्राथमिकता मानते हैं लेकिन कोई भी पार्षद कटारिया के प्रस्तावित नाम का विरोध नहीं कर सकता।

भाजपा पार्षदों की घेराबंदी नहीं हुई खत्म

महापौर निर्वाचित होने के बावजूद भाजपा ने अपने पार्षदों की घेराबंदी अभी खत्म नहीं की है। मेयर के लिए मतदान कराने के बाद भाजपा पार्षदों को एक बार फिर चार वाहनों से नजदीकी रिसोर्ट ले जाया गया। बताया गया कि उपमहापौर के लिए मतदान खत्म होने के बाद ही उन्हें अपने-अपने घर जाने दिया जाएगा। इस बीच, कांग्रेस ने भी उपमहापौर के लिए दावेदारी जता दी है। कांग्रेस ने उपमहापौर के लिए शंकर चंदेल को मैदान में उतारने की घोषणा की है। हालांकि माना जा रहा है कि मेयर की तरह भाजपा का ही उपमहापौर निर्वाचित होगा।

गौरतलब है कि राजस्थान में स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम ने अब तक शहरी और सवर्ण वोट बैंक पर कब्जा रखने वाली भाजपा के सामने एक सवाल खड़ा कर दिया है। यह सवाल शहरी और सवर्ण वोटों का भाजपा से छिटक कर कांग्रेस से जुड़ने का है। कांग्रेस को इन चुनावों में उम्मीद से अधिक सफलता मिली है। कांग्रेस ने भाजपा के शहरी आधार को जोर का झटका धीरे से दिया है। इन 49 शहरी निकाय चुनावों में कांग्रेस 36 निकायों में अपना बोर्ड बनाने में कामयाब रही है, तो देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा मात्र 12 निकायों में ही अपनी जीत दर्ज करा सकी है। शेष एक बोर्ड निर्दलीय के खाते में गया है।

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