कांग्रेस ने 50 साल राज किया, लेकिन किसानों के भले के लिए नीति तक नहीं बनाईः गुलाब चंद कटारिया
gulab chand kataria. गुलाब चंद कटारिया के मुताबिक, कांग्रेस ने देश में 50 साल तक राज किया, लेकिन किसानों के भले एक नीति तक नहीं बनाई।
जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने देश में 50 साल तक राज किया, लेकिन किसानों के भले एक नीति तक नहीं बनाई और अब कर्जमाफी के नाम पर किसानों को जिस तरह भुलावे में रखा है, उसका नतीजा भी जल्द ही सामने आ जाएगा।
राजस्थान विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा के दौरान कटारिया ने भाजपा की सरकार के समय किए गए कामों की कांग्रेस के समय हुए कामों से तुलना की और आंकड़े रखते हुए कहा कि कांग्रेस को देश में राज करने के लिए 50 वर्ष मिले और हमें 20 वर्ष मिले। इसलिए एक दिन इस बात पर भी चर्चा होनी चाहिए कि आपने क्या किया और हमने क्या किया।
कटारिया ने कहा कि अभिभाषण वैसे तो सरकार के अगले वर्ष के कामकाज का आइना होता है, लेकिन इस अभिभाषण में 12 जगह पिछली सरकार को कोसा गया है। उन्होंने कहा कि अभिभाषण में विकास दर को लेकर गलत आंकड़े दिए गए हैं। कटारिया ने कहा कि कांग्रेस ने 50 साल में सिर्फ एक बार किसानों का कर्ज माफ किया, जबकि हमने 20 वर्ष के समय में लगान माफ करने से लेकर कर्ज माफी तक के काम किए। हमने 27 लाख किसानों का कर्ज माफ किया। कटारिया ने कहा कि हमने किसान के साथ धोखा नहीं किया, लेकिन कांग्रेस ने इतने साल तक राज किया, फिर भी किसान के लिए एक नीति तक नहीं बनाई। आज भी किसान बहुत बुरी स्थिति में रह रहा है।
कटारिया ने कहा कि सत्ता पक्ष के सदस्य बार बार यह कह रहे हैं कि हमने कुछ नहीं किया, जबकि आंकड़े बता रहे हैं कि पंचायतराज पुनर्गठन का काम भाजपा ने किया है। हमने नई और छोटी पंचायतें बनाने का काम किया, ताकि विकास का लाभ सब तक पहुंच सके, जबकि कांग्रेस ने कभी पंचायतों का पुनर्गठन नहीं किया। कांग्रेस के 50 साल में सिर्फ सात मेडिकल काॅलेज खुले हमनें सिर्फ पांच साल में सात मेडिकल काॅलेज खोल दिए। इसी तरह सड़कों का निर्माण हो चाहे, नए स्कूल खोलने का काम हो और बिजली उत्पादन हो। हमने हर क्षेत्र में कांग्रेस से बेहतर काम किया।
पंचायतों और नगरपालिकाओं के चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता हटाने के निर्णय की आलोचना करते हुए कटारिया ने कहा कि हमें यह सोचना चाहिए कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी क्याा यह जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को करोड़ों रुपये का खर्च करना पड़ता है, इसीलिए हमने शिक्षा की अनिवार्यता लागू की थी और इसके बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आए है। इस प्रावधान के जरिए हमने इस व्यवस्था से नए लोगों को जोड़ने का काम भी किया और पंचायतों में होने वाला परिवादवाद समाप्त हुआ। हमने जनता के लिए कानून बनाया था और इसके जरिए लोकतंत्र को ताकत देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि सरकार आर्थिक पिछड़ों को दस फीसद देने के विषय पर तुरंत निर्णय करे, ताकि गरीब सवर्णो का इसका पूरा लाभ मिल सके।