Bird Flu: राजस्थान में बर्ड फ्लू की आशंका, राज्यपाल ने सरकार से मांगी रिपोर्ट, अजमेर में विभाग अलर्ट मोड पर
Bird Flu राजस्थान में कौओं की बढ़ रही मौत से चिंतित राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार के कृषिमंत्री लालचंद कटारिया से बर्ड फ्लू पर कंट्रोल को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने इस संबंध में कार्रवाई किए जाने और एक्शन प्लान बनाए जाने पर जोर दिया।
जयपुर/अजमेर, जेएनएन। Bird Flu: राजस्थान में कौओं की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। सोमवार को भी प्रदेश में 110 पक्षियों की मौत हुई हैै। इनमें 104 कौओं के साथ ही पांच बगुले व एक मोर शामिल है। कौओं की मौत की बात सामने आई है। प्रदेश में अब तक 500 से अधिक कौओं की मौत हुई है। कौओं की बढ़ रही मौतों से चिंतित राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार के कृषिमंत्री लालचंद कटारिया से बर्ड फ्लू पर कंट्रोल को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ली। उन्होंने इस संबंध में प्रभावी कार्रवाई किए जाने और एक्शन प्लान बनाए जाने पर जोर दिया। कटारिया ने बताया कि सरकार के स्तर पर समुचित कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
उधर, बर्ड फ्लू के खतरे की दस्तक से चिंतित राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है। प्रदेश स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया गया है। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ओर सचिव आरूषि मलिक कंट्रोल रूम में आने वाली सूचनाओं पर निरंतर निगरानी रख रहे हैं। दोनों अधिकारी जिला स्तर के पशुपालन अधिकारियों से लगातार फीडबैक ले रहे हैं। मृत कौओं के सैंपल लेकर भोपाल भेजे जा रहे हैं। वहां से वहां रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी। मीणा ने अब तक 345 कौओं की ही पुष्टि की है, लेकिन जिला स्तर से मिली जानकारी के अनुसार 450 से अधिक कौओं की मौत सात दिन में हुई है।
कौओं की मौत को देखते हुए केवलादेव बर्ड अभयारण्य में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। यहां सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। इस बार में विदेशी पक्षी पहुंचे हैं। सरकार ने रणथंभौर व सरिस्का टाइगर रिजर्व में भी विशेष चौकसी बरतने के निर्देश दिए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सबसे पहले झालावाड़ और फिर उसके बाद कोटा, बारां, पाली, जयपुर, जोधपुर व नागौर जिलों में भी कौओं की मौत हुई है। सरकार द्वारा बनाई गई रेस्पॉंस टीम इन जिलों में सर्विलॉंस कर रही है। लोगों को सतर्क करने के लिए पंपलेट व पोस्टर वितरित किए जा रहे हैं।
जयपुर में एक दिन में 36 कौओं की मौत
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. विरेन्द्र सिंह ने बताया कि सोमवार को सबसे अधिक 36 कौओं की मौत जयपुर जिले में हुई है। सवाईमाधोपुर 24, झालावाड़ व दौसा में दो-दो,बारां और कोटा में 12-12,बीकानेर में 11, जोधपुर चार, सीकर में एक कौआ मरा है। जोधपुर में एक बगुला व अलवर में एक मोर की मौत हुई है। सिंह ने बताया कि कोटा में कबूतर की भी मौत हुई है। यहां रविवार को 24 कबूतरों की मौत हुई है। पीपल फॉर एनिमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने पशु-पक्षियों पर बड़ा संकट बताते हुए सरकार ने आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है।
अजमेर में पक्षियों की मौत पर वन विभाग अलर्ट मोड पर
अजमेर जिले में पक्षियों की मौत के संबंध में वन विभाग अलर्ट मो पर है। वन्य जंतुओं के संबंध में वन विभाग के टेलीफोन पर सूचना भी दी जा सकती है। अजमेर में लगातार अनेक कौओं की मौत की सूचना है। मुर्गीपालन उद्योग से जुड़े लोग रोग को लेकर चिंतित हैं। अभी मुर्गियों में ऐसा कोई लक्षण नहीं दिखा है। अजमेर में मुर्गी पालन उद्योग काफी बड़ा है। वन विभाग के सहायक वन संरक्षक नरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि राजस्थान के झालावाड़, बारां, नागौर, जोधपुर एवं पाली जिलों में पक्षियों की मौतों की सूचना के बाद बर्ड फ्लू की आंशका को देखते हुए अजमेर वन मण्डल द्वारा जिले में भी सतर्कता बरती जा रही है। बर्ड फ्लू की आंशका को देखते हुए जिले में भी वन विभाग को अलर्ट कर दिया गया है।
इस मामले में जिले में भी पूर्ण सतर्कता बरतते हुए सभी क्षेत्रीय एवं अधीनस्थ विभागीय अधिकारियों तथा कार्मिकों को सतर्क किया जा चुका है। उन्हें फील्ड में लगातार निगरानी रखने के साथ ही अत्यधिक पक्षियों के एक स्थान पर असामान्य रूप से बीमार होने या मौतों से जुड़ी किसी भी घटना की जानकारी मिलने पर तत्काल प्रभाव से वन मण्डल अजमेर को सूचना देने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला अजमेर के अन्तर्गत धार्मिक स्थलों, जलाशयों एवं अन्य स्थलों पर पक्षियों का आवागमन ज्यादा रहता हैं। उन स्थलों पर असामान्य रूप से एक स्थान पर ही अत्यधिक पक्षियों के घायल होने व मृत्यु होने की स्थिति में आमजन एवं पर्यावरण प्रेमी वन मण्डल अजमेर को सूचित कर सकते है,। आमजन से अपील की जाती हैं कि ऐसी स्थिति में तत्काल वन अधिकारियों को दूरभाष नंबर 9462360570 एवं 0145.2429796 पर सूचना देवेंं। इससे पक्षियों की सुरक्षा हो सकेगी। साथ ही, भविष्य में होने वाली किसी भी महामारी से रोकथाम की जा सकती है।