Rajasthan : गुर्जर आंदोलनों में दर्ज मुकदमे वापस लेगी सरकार, पुलिस अधीक्षकों को लिखा पत्र
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर 2007 से लेकर 2019 तक पांच-छह बडे आंदोलन हो चुके है। इन आंदोलनों में करीब 750 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए थे।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान में अब तक हुए गुर्जर आरक्षण आंदोलनों में गुर्जरों पर दर्ज लम्बित पडे़ विभिन्न मुकदमे सरकार वापस ले सकती है। पुलिस मुख्यालय ने इस बारे में संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिखकर मामले निस्तारित करने के लिए कहा है।
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर 2007 से लेकर 2019 तक पांच-छह बडे़ आंदोलन हो चुके हैं। इन आंदोलनों में सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने, हिंसा और अन्य इसी तरह के करीब 750 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से 300 से ज्यादा मुकदमे अदालतों में चल रहे हैं और उनपर फैसलों का इंतजार है, वहीं 274 में पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है।
करीब 56 मुकदमे ऐसे हैं, जिनमें अभी अनुसंधान ही शुरू नहीं हुआ है। गुर्जर नेता सरकार से लगातार यह मांग कर रहे हैं कि उन पर लगे मुकदमे सरकार वापस ले, क्योंकि यह कोई आपराधिक मामले नहीं है, बल्कि आंदोलन से जुडे़ हुए मामले हैं। गुर्जरों की लम्बित मांगों के सम्बन्ध में जब भी सरकार के साथ गुर्जर प्रतिनिधियों की बैठक होती है, उसमें मुकदमे वापस लेने का मामला भी प्रमुख तौर पर सामने आता रहा है। हाल में 30 जून को भी गुर्जर नेताओं की राजस्थान के मुख्य सचिव के साथ बैठक हुई थी।
इस बैठक में मुख्य सचिव ने हालांकि भर्तियों और बैकलॉग पूरा करने सम्बन्धी सभी मांगों पर कार्रवाई के लिए 10-15 दिन का समय मांगा है, वहीं मुकदमे वापस लेने के मामले में पुलिस मुख्यालय की ओर से एक जुलाई को ही एक पत्र सवाईमाधोपुर, अलवर, दौसा, भरतपुर, सीकर, अजमेर, बूंदी, झुंझुनू, टोंक और जयपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि गुर्जर आंदोलनों से जुडे़ तमाम मामलों की सूची जयपुर से भेजी जा रही हैं। इसमें मुकदमे से संबंधित लोगों के फोन नंबर भी हैं। गुर्जर प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों से जिला स्तर पर बैठक कर गुर्जर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे के निस्तारण की कार्रवाई की जाए।